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प्रकृति का अद्भुत चमत्कार और उभरता पर्यटन हॉटस्पॉट है गुरु सिंधु जलप्रपात

झारखंड व छत्तीसगढ़ की सीमा को विभाजित करनेवाली कनहर नदी पर है जलप्रपात

झारखंड व छत्तीसगढ़ की सीमा को विभाजित करनेवाली कनहर नदी पर है जलप्रपात

गढ़वा के पिकनिक स्पॉट-1 गढ़वा मुख्यालय से दूरी : 45 किलोमीटर

चिनिया प्रखंड से दूरी : 15 किलोमीटर

जलप्रपात की ऊंचाई : 200 फीट

जितेंद्र सिंह, गढ़वा

गढ़वा जिला प्राकृतिक सौंदर्य और अद्भुत पर्यटन स्थलों से भरा पड़ा है, जिनमें गुरु सिंधु जलप्रपात एक अनमोल प्राकृतिक धरोहर के रूप शामिल है. यह जलप्रपात चिनिया प्रखंड के 15 किलोमीटर दूर चपकली गांव के पास स्थित है और झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर कनहर नदी के बहाव पर एक अद्वितीय प्राकृतिक चमत्कार है. करीब 200 फीट ऊंचाई से गिरता पानी दूधिया फुहारों की तरह नीचे गिरता है, जिससे एक अलौकिक दृश्य उत्पन्न होता है, जैसे पर्वतों के बीच दूध की नदी बह रही हो. जलप्रपात की गूंज इतनी प्रबल होती है कि उसकी आवाज दूर-दूर तक सुनाई देती है. आसपास की हरियाली, चट्टानों का गुलाबीपन और बहते पानी की ध्वनि एक अद्भुत संयोजन प्रस्तुत करती है, जो हर पर्यटक के दिल को शांति और सुकून से भर देती है. जब सूर्य की किरणें झरने के ऊपर गिरते पानी पर पड़ती हैं, तो एक इंद्रधनुषी आभा का नजारा उत्पन्न होता है, जो किसी चित्रकार की कूची से उकेरी गई कलाकृति जैसा प्रतीत होता है. यह दृश्य पर्यटकों को यहां के अद्वितीय सौंदर्य में खो जाने पर मजबूर कर देता है.

दुर्गम लेकिन रोमांचकारी रास्ता

गुरु सिंधु जलप्रपात तक पहुंचने का रास्ता रोमांच से भरपूर है. चिनिया से आगे का मार्ग घने जंगलों से होकर गुजरता है और अंतिम तीन किलोमीटर का रास्ता कठिन ढलानों और पगडंडियों से होकर जाता है. यहां तक पहुंचने के लिए एक स्थान पर नदी भी पार करनी होती है. हालांकि यह कठिन रास्ता है, लेकिन यहां की प्राकृतिक सुंदरता इसे देखने के बाद पूरी तरह सार्थक हो जाती है.

गढ़वा का नया पर्यटन आकर्षण

गढ़वा मुख्यालय से लगभग 42 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित इस जलप्रपात को अब पर्यटन विभाग ने भी खास महत्व देना शुरू कर दिया है. झारखंड सरकार द्वारा इसे आधिकारिक पर्यटन स्थल घोषित किया गया है और यहां बुनियादी सुविधाओं का विकास तेजी से हो रहा है. नदी तट पर रेलिंग, पार्किंग स्थल, सड़क मार्ग का कालीकरण और नीचे नदी के टापू तक जाने के लिए सीढ़ियां बनाने जैसे कदम उठाये गये हैं. हालांकि यहां अभी ठहरने की व्यवस्था नहीं है, इसलिए पर्यटक दिन में यहां की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेकर शाम तक वापस लौट जाते हैं.

प्राकृतिक शांति और साहसिक पर्यटन के लिए आदर्श स्थल

गुरु सिंधु जलप्रपात की सबसे बड़ी खूबी इसका शांत और अलौकिक वातावरण है. यहां चारों ओर घने जंगल, पहाड़ों से आती ठंडी हवाएं और गिरता जल, इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान बनाते हैं. इस स्थान पर न कोई शहरी शोर है और न प्रदूषण. केवल प्राकृतिक ध्वनियां, पक्षियों की चहचहाहट और गिरते पानी का संगीत सुनाई देता है.

पर्यटन की अपार संभावनाएं

गुरु सिंधु जलप्रपात न केवल एक पिकनिक स्पॉट है, बल्कि साहसिक पर्यटकों, फोटोग्राफरों और प्रकृति शोधकर्ताओं के लिए भी बेहतरीन स्थान है. बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखते हुए भविष्य में यहां इको-टूरिज्म, ट्रैकिंग रूट्स, कैंपिंग सुविधाएं और होमस्टे जैसी व्यवस्था की संभावना प्रबल है. यह जलप्रपात गढ़वा का असली नैसर्गिक रत्न बनकर उभरा है, जो न केवल स्थानीय पर्यटकों बल्कि समीपवर्ती राज्यों के पर्यटकों को भी आकर्षित करता है. गुरु सिंधु जलप्रपात की शांत वादियां, बहते पानी का संगीत और जंगलों का रोमांच हर आगंतुक के लिए अविस्मरणीय अनुभव छोड़ते हैं.

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