बेलचंपा गांव का मामला, रजिस्ट्री व नामांतरण प्रक्रिया पर उठे सवाल
एलपीसी (भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र) निर्गत करने, रजिस्ट्री कराने और नामांतरण जैसे कार्यों में जहां आम लोगों को कई स्तर की दिक्कतें उठानी पड़ती हैं, वहीं खास लोगों के लिए अंचल में ‘दूसरा दरवाजा’ खुला है. इसी के तहत गढ़वा अंचल के बेलचंपा गांव में जमीन के मामले में गंभीर गड़बड़ी सामने आयी है. जानकारी के अनुसार, खाता संख्या 8, प्लॉट संख्या 105 में जमीन का रकबा खतियान में 1.56 एकड़, रजिस्टर टू में 1.53 एकड़ दर्ज है, लेकिन अंचल की ओर से इसका 1.79 एकड़ का एलपीसी निर्गत कर दिया गया. खास बात यह है कि पूरी जमीन की रजिस्ट्री भी हो चुकी है और अब नामांतरण की प्रक्रिया चल रही है. इस बीच, जिन लोगों ने पहले रजिस्ट्री करायी थी वे जमीन पर काबिज हैं, जबकि बाद में रजिस्ट्री कराने वालों के सामने संकट खड़ा हो गया है. इसी वजह से गांव में विवाद और आपसी झड़प की नौबत आ गयी है.
क्या है पूरा मामलाखबर के अनुसार, श्री उपाध्याय के नाम से दर्ज इस जमीन की 1.535 एकड़ हिस्सेदारी पहले ही छह लोगों को बेच दी गयी थी. ऐसे में रजिस्टर टू में रकबा शून्य होना चाहिए था. इसके बावजूद अंचल कार्यालय की ओर से इसी साल दो बार एलपीसी जारी किया गया. चार जनवरी 2025 के माध्यम से इस जमीन का 22.50 डिस्मिल व 17 जून 2025 के माध्यम से तीन डिस्मिल यानी कुल 25 डिस्मिल जमीन का एलपीसी निर्गत कर दिया गया. इस प्रकार जमीन का रकबा इस निर्गत एलपीसी एवं बेची गयी जमीन के हिसाब से 179 डिस्मिल यानि 1.79 एकड़ हो गया है. बताया गया कि उक्त प्लॉट का कुछ हिस्सा बेलचंपा-अटौला मोड़ जाने वाली सड़क में भी समाहित है.
इस संबंध में गढ़वा अंचल के सीओ सफी आलम ने कहा कि अधिक भूमि का एलपीसी कैसे निर्गत हो गया, इसकी जांच करायी जा रही है. मामला स्पष्ट होते ही कार्रवाई की जायेगी.
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