गढ़वा : गढ़वा जिले में शहरी आबादी के करीब 45000 लोग स्वच्छ पानी पीने से वंचित हैं. वे पिछले दो दशक से पेयजल की गंभीर संकट से जूझ रहे हैं. इससे निजात दिलाने के लिए वर्ष 2013 में पेयजल व स्वच्छता विभाग ने 38 करोड़ की लागत से वृहद शहरी पाइपलाइन पेयजलापूर्ति योजना की शुरू की थी. लेकिन पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी इस योजना का कार्य महज 40 फीसदी हो सका है. इस योजना को पूरा करने की गति को देख कर यह नहीं लगता की शीघ्र ही शहरवासियों को इसका लाभ मिल पायेगा.
26 फरवरी 2013 को इसका कार्य पूरा करने के लिए दिल्ली की कंपनी एसएमएस पर्यावरण लिमिटेड को जिम्मेवारी सौंपी गयी थी. संवेदक को कार्य आवंटन करने के बाद फरवरी 2016 में इस योजना को पूरा करने का कार्यादेश दिया गया था. लेकिन संवेदक की लापरवाही व विभाग द्वारा नियमित निगरानी नहीं किये जाने का ही नतीजा है कि चार वर्ष बाद भी योजना का कार्य महज 40 फ़ीसदी ही हो सका है. बताते चलें कि गढ़वा जिला मुख्यालय में पिछले दो दशक से पेयजल की गंभीर संकट है, तब से लगातार गर्मी के शुरू होते ही इसका असर देखने को मिल जाता है. इस योजना के शुरू होने के बाद शहरवासियों को लगा था कि अब उन्हें पेयजल की गंभीर संकट से निजात मिल जायेगी. लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया लोगों की आशा निराशा में तब्दील होती चली गयी. वर्तमान में लोगों को लगने लगा है कि यह योजना भी अन्य योजनाओं की तरह अंजाम तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देगी.
क्या है योजना
शहरी क्षेत्र को पेयजल की समस्या से निजात दिलाने को लेकर शुरू की गयी इस योजना के तहत शहरी क्षेत्र में 66 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाकर सभी घरों में पानी पहुंचाना है. इसके लिए शहर के सोनपुरवा स्थित रेलवे स्टेशन के समीप जल शोधन संस्थान (वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ) का निर्माण किया जाना है, जिसकी छमता 17. 5 एमएलडी है. इसके लिए शहर से 10 किलोमीटर दूर बलचंपा गांव के समीप कोयल नदी में इंटकवेल का निर्माण कर वहां से पाइपलाइन के जरीय सोनपुरवा स्थित जल शोधन संस्थान में पानी लाया जाएगा, जहां से पानी को साफ कर पाइपलाइन के जरिये शहर के तीन स्थानों बाजार समिति परिसर, बिजली विभाग परिसर एवं टंडवा में पानी टंकी का निर्माण कर उक्त तीनों स्थानों से पाइपलाइन के जरिय शहरी क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में पानी की आपूर्ति करना है. इसके लिए बाजार समिति परिसर में नौ लाख लीटर की टंकी का निर्माण अभी तक 60 प्रतिशत हुआ है, जबकि टंडवा में 7.30 लाख लीटर क्षमता वाले टंकी का निर्माण कार्य 95 प्रतिशत एवं बिजली विभाग परिसर में 11लाख लीटर क्षमता के टंकी का निर्माण कार्य अभी तक 70 फ़ीसदी ही हुआ है. इस योजना के तहत कुल 72 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाये जाने हैं,लेकिन अभी तक महज 13 किलोमीटर में ही पाइपलाइन बिछाने का कार्य किया गया है. वहीं सोनपुरवा में बनाए जा रहे हैं जलशोधन संस्थान (वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) का कार्य अभी तक महज 20 प्रतिशत ही हुआ है, इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस योजना को लेकर सरकार विभाग एवं जनप्रतिनिधि कितने गंभीर हैं.
क्यों हुई योजना में देरी
इस योजना में देरी को लेकर विभाग के पदाधिकारी बताते हैं कि फरवरी 2013 में इस योजना के कार्य आदेश दिए जाने के बाद सबसे बड़ी समस्या योजना के क्रियान्वयन को लेकर भूमि अधिग्रहण के मामले को निपटाने में विभाग को 2 वर्ष का समय लग गया. विभाग के पदाधिकारी बताते हैं कि फरवरी 2016 में भूमि अधिग्रहण का मामला सुलझाया गया और संवेदक को भूमि सौंपी गयी. लेकिन इसके अलावा तीन पानी टंकी का निर्माण एवं पाइपलाइन बिछाने के कार्य में कोई अड़चन नही थी,लेकिन संवेदक बहानेबाजी करता रहा और योजना को लटकाये रखा.
एक सप्ताह में पुन: होगा टेंडर : पिंकी केसरी
इस बारे में पूछे जाने पर नगर परिषद अध्यक्ष पिंकी केसरी ने कहा कि इस योजना में भूमि अधिग्रहण बड़ी अड़चन थी, तीन साल उसी में लग गया़ इसके बाद संवेदक की लापरवाही को लेकर कई बार उन्होंने उपायुक्त व नगर विकास विभाग रांची को लिख चुकी है़ अंतत: उक्त संवेदक का कार्य रद्द कर दिया गया और उसकी पुन: टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है़ उन्होंने कहा कि एक सप्ताह में उक्त योजना का पुन: टेंडर करा दिया जायेगा़