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East Singhbhum News : मौसम का साथ, चाक पर तेजी से चल रहे हाथ

दीपावली, काली पूजा, सोहराय और छठ पर्व को लेकर कुम्हार समाज अपने कार्य में तेजी से जुटा है.

घाटशिला.

दीपावली, काली पूजा, सोहराय और छठ पर्व को लेकर कुम्हार समाज अपने कार्य में तेजी से जुटा है. घाटशिला प्रखंड की पावड़ा पंचायत स्थित साढ़पुरा गांव के कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाने में व्यस्त हैं. बीते एक सप्ताह से मौसम साफ होने से कुम्हारों को राहत मिली है. गांव के दर्जनों परिवार दिन-रात दीया, हाथी, घोड़ा, कलश और अन्य पूजन सामग्री तैयार करने में जुटे हैं. 50 वर्षीय कुटू प्रजापति बताते हैं कि पूर्वज माटी कला से जुड़े थे. सातवीं कक्षा तक पढ़ाई के बाद वे पेशा में लग गये. इस बार बारिश में मिट्टी गीली रहने से काम में थोड़ी कठिनाई हुई. अब तेजी से काम चल रहा है. छठ के समय मिट्टी के हाथी और घोड़े की सबसे अधिक मांग रहती है. एक हाथी का सेट लगभग एक हजार रुपये और घोड़ा जोड़ा 200 रुपये में बिकता है.

दीपावली और काली पूजा पर दीयों की बिक्री 150 से 200 रुपये प्रति सैकड़ा तक होती है. हालांकि, चाइनीज लाइट, प्लास्टिक और स्टील-ब्रास के बर्तनों के कारण बिक्री पर असर पड़ा है. फिर भी गांव के करीब पांच परिवारों का गुजारा इसी पर चलता है. कुटू प्रजापति बताते हैं कि वर्ष 2018-19 में झारखंड सरकार से इलेक्ट्रिक चाक मिला था, जिससे उत्पादन में तेजी आयी है. समय की बचत होती है. पहले लकड़ी से बने हाथचाक पर काम करते थे. कच्चे मकानों में रहकर परिवार आज भी मिट्टी कला की परंपरा को सहेजे हुए है. आधुनिकता के बीच यह पारंपरिक हुनर आज भी घाटशिला की सांस्कृतिक पहचान बनाये हुए हैं.

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