घाटशिला.
26, 863 एकड़ (108.71 वर्ग किमी) में फैले घाटशिला वन क्षेत्र का जिम्मा मात्र छह वन रक्षियों के भरोसे है. यह कई वर्षों चल रहा है. घाटशिला में एक रेंजर हैं. वह भी घाटशिला के अलावे अन्य कई रेंज का प्रभार संभाल रहे हैं. घाटशिला और गालूडीह में एक-एक वनपाल का पद स्वीकृत है, पर कई वर्षों से दोनों जगह वनपाल का पद खाली पड़ा है. दोनों जगहों के वनपाल की सेवानिवृत्ति के बाद फिर किसी की बहाली नहीं हुई. ऐसे में सवाल उठ रहा है ऐसे हालत में जंगल कैसे बचेगा ? जबकि घाटशिला वन क्षेत्र बंगाल सीमा से सटा है. इस वन क्षेत्र के अधीन एमजीएम, गालूडीह, घाटशिला थाना क्षेत्र आते हैं. इसके अलावे जादूगोड़ा और धालभूमगढ़ थाना क्षेत्र के कुछ हिस्से आते हैं. इस वन क्षेत्र में प्राकृतिक साल जंगल का भरमार है. पहाड़ों की लंबी-लंबी श्रृंखला है. हाथी, हिरण, खरगोश, लकड़बग्घे, बंदर, भालू, जंगल सूअर जैसे जानवर हैं. पिछले वर्ष एक बाघ भटक कर इस जंगल में पहुंचा था. कई माह तक वन विभाग परेशान रहा था. बावजूद वन विभाग के खाली पदों में बहाली वर्षों से ठप है. जो पहले से थे उनमें अधिकांश सेवानिवृत्त हो चुके हैं. कुछ साल पहले कुछ वन रक्षियों की बहाली हुई थी. जिसमें कुछ बचे हैं. इसमें कई वन रक्षियों ने दूसरी नौकरी के लिए परीक्षा दी. उसमें सलेक्शन हो जाने से वनरक्षी की नौकरी छोड़कर चले गये. इससे और अधिक समस्या गहरा गयी.वनपाल की जगह वन रक्षियों को सौंपा गया प्रभार
वनपाल की जगह वन रक्षियों को कई जगह प्रभार सौंपे गये हैं, ताकि जंगलों की रक्षा हो सके एवं कार्य प्रभावित ना हो. वर्तमान में घाटशिला रेंज के रेंजर विमद कुमार हैं. इन्हें घाटशिला के अलावा अन्य रेंजों का भी प्रभार संभालना पड़ रहा है. वहीं घाटशिला वन क्षेत्र में छह तथा गालूडीह वन परिसर में आठ वनरक्षी के पद स्वीकृत हैं. वर्तमान में कुल छह वनरक्षी ही कार्यरत हैं, जबकि शेष पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं. दो वनपाल और आठ वनरक्षी के पद खाली रहने के बावजूद किसी तरह से रेंज कार्यालय का कार्य संचालित किया जा रहा है.
1948 में घाटशिला रेंज कार्यालय बना था
आजादी के ठीक एक बाद वर्ष 1948 में घाटशिला में रेंज कार्यालय बना था. यह क्षेत्र घने जंगलों से विख्यात था और अब भी है. पर यह पुराना रेंज कार्यालय लंबे समय से स्टॉफ की समस्या से जूझ रहा है. देखने वाला कोई नहीं. घाटशिला रेंज के अंतर्गत एक रेंजर का एक पद है. इसमें विमद कुमार पदस्थापित हैं. वनपाल का दो पद घाटशिला में एक और गालूडीह एक, दोनों जगह वनपाल का पद कई वर्षों से खाली पड़ा है. वनपाल के पदों में नियुक्ति नहीं होने से समस्या गहरा गयी है.घाटशिला ही नहीं, बल्कि पूरे जिले में वन विभाग को स्टॉफ की कमी का सामना करना पड़ रहा है. रेंजर, वनपाल और वन रक्षियों की बहाली प्रक्रिया सरकारी स्तर पर चल रही है. जिले में स्टॉफ की कमी से संबंधित जानकारी झारखंड सरकार को अवगत कराया जा चुका है. –सबा आलम अंसारी
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