Ghatshila By Poll 2025: इसके लिए तड़कता, भड़कता आकर्षक हेडिंग सुझाएं: घाटशिला उपचुनाव को लेकर झारखंड के दो प्रमुख दल झामुमो और बीजेपी ने अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. बीजेपी ने चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को अपना उम्मीदवार बनाया है तो वहीं, झामुमो ने रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन पर दांव खेला है. भले ही यह चुनाव सरकार पर कोई प्रभाव डाले, लेकिन दोनों पार्टी के लिए नैरेटिव बनाने का काम जरूर करेगी. आज हम इस लेख में आपको बताएंगे कि दोनों पार्टियां किन किन मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी.
बीजेपी आदिवासी अस्मिता और भ्रष्टाचार को बना सकती है मुद्दा
घाटशिला विधानसभा आदिवासी बहुत क्षेत्र है. बीजेपी 2024 विधानसभा की तरह आदिवासी अस्मिता के खतरे की बात उठायेगी. साथ ही आदिवासियों पर हो रहे अन्याय के खिलाफ मुखर होगी. इसके लिए वह बंग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा को फिर उठा सकती है. वैसे भी चंपाई सोरेन विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद ही आदिवासियों को जागरूक करने की बात कह चुके थे. इसके अलावा बीजेपी सूर्या हांसदा एनकाउंटर केस को भी मुद्दा बना सकती है. वह मानसून सत्र में इस मुद्दे को जोर शोर से उठायी थी. इसके अलावा वह कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर सरकार को घेरने का काम करेगी. बुधवार को ही मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपने एक्स हैंडल पर चाकुलिया और मुसाबनी सड़क गड़बड़ी मामले पर सरकार को घेरा है.
किन किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी झामुमो
वहीं, झामुमो सहानभूति लहर के साथ साथ रामदास सोरेन के शिक्षा के क्षेत्र में उठाये गय कदम को गिनाने का काम करेगी. इसके अलावा मंइयां सम्मान योजना के तहत मिल रहे पैसे को भी भुनाने का काम करेगी. इसके साथ साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं को जनता के बीच बताने का काम करेगी.
घाटशिला में 46 फीसदी आदिवासी मतदाता
घाटशिला में जहां 46 फीसदी आदिवासी मतदाता है तो वहीं 45 फीसदी ओबीसी मतदाता है. बीजेपी ज्यादा से ज्यादा ओबीसी मतदाताओं को अपने तरफ खींचने का काम करेगी. आजसू के जरिये वह कुड़मी वोटरों को अपने पक्ष में करने का प्रयास करेगी. वहीं, झामुमो अपने परंपरागत वोटर आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट बनाये रखने की कोशिश करेगी.
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