चाकुलिया. पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड में बना राज्य का सबसे बड़ा इकोलॉजिकल डायवर्सिटी पार्क दिशोम गुरु शिबू सोरेन को समर्पित होगा. प्रखंड के पुरनापानी, काकड़ीसोल और अमलागोड़ा मौजा की 75 हेक्टेयर वन भूमि पर करीब 50 करोड़ रुपये से वन विभाग ने पार्क का निर्माण कराया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पार्क का उद्घाटन करेंगे. विभाग 30 नवंबर से पहले उद्घाटन की तैयारी में है. उक्त बातें झारखंड वन विभाग के पीसीसीएफ अशोक कुमार ने कहीं. उन्होंने कहा कि उद्घाटन का आमंत्रण पत्र लेकर जल्द मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करेंगे. उद्घाटन की तिथि मुख्यमंत्री सुनिश्चित करेंगे. इसके बाद आम जनता के लिए खोला जायेगा. उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ लोगों को जोड़ने और समन्वय स्थापित करना पार्क निर्माण का मुख्य उद्देश्य है. पीसीसीएफ अशोक कुमार, आरसीसीएफ स्मिता पंकज, डीएफओ सबा आलम अंसारी समेत वन विभाग के वरीय पदाधिकारियों ने निर्माण कार्य की स्थिति देखी.
पार्क में 10 लाख पौधे लगाये गये, कल्पतरु व लाल-सफेद चंदन भी
इकोलॉजिकल डायवर्सिटी पार्क कई मायनों में खास है. पार्क में अलग-अलग प्रकार के 10 लाख पौधे लगाये गये हैं. इनमें कल्पतरु वन, लाल चंदन का वन, सफेद चंदन का वन व शीशम का वन तैयार किया गया है. कल्पतरु वन में 550 पौधे लगाये गये हैं. इसी प्रकार से लाल और सफेद चंदन के वन में हजारों पेड़ लगाये गये हैं.
प्रवेश गेट पर बिरसा मुंडा और शिबू सोरेन की प्रतिमा रहेगी
पार्क के मुख्य द्वार पर दोनों ओर विशाल प्रतिमा होगी. एक तरफ भगवान बिरसा मुंडा व दूसरी तरफ दिशोम गुरु शिबू सोरेन की प्रतिमा होगी. मुख्य द्वार पर विशाल टीवी स्क्रीन व पार्क परिसर में आकर्षक लाइट के साथ संगीतमय फाउंटेन, भूल भुलैया, गाज़ीबो, स्विमिंग पूल, शिवकुंड, अशोक वाटिका, रोज गार्डन, चिल्ड्रन पार्क, ओल्ड एज पार्क, रेस्टोरेंट आदि आकर्षण के मुख्य केंद्र में रहेंगे.
पांच वर्षों से चल रहा निर्माण कार्य, 30 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे पीसीसीएफ:
इकोलॉजिकल डायवर्सिटी पार्क उद्घाटन को लेकर वन विभाग हड़बड़ी में है. अंतिम रूप देने के लिए दिन-रात मजदूरों को लगाया गया है. पीसीसीएफ अशोक कुमार की देखरेख में ही पिछले 5 वर्षों से पार्क का निर्माण कार्य चल रहा था. पीसीसीएफ अशोक कुमार 30 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे. ऐसे में विभाग का प्रयास है कि 30 नवंबर से पहले उद्घाटन कर लिया जाये.झारखंड में कल्पतरु के 2100 वृक्ष
कल्पतरु वृक्ष हिंदू, बौद्ध और जैन पौराणिक कथाओं का दिव्य मनोकामना-पूर्ति करने वाला वृक्ष है. ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था. यह समृद्धि का प्रतीक है. वास्तु शास्त्र में सकारात्मक ऊर्जा, धन और आध्यात्मिक विकास लाने के लिए इसके प्रतीकात्मक चित्रण का उपयोग किया जाता है. पूरे झारखंड में अनुमानित तौर पर सिर्फ 2100 कल्पतरु वृक्ष मौजूद हैं.कोलकाता की यूनाइटेड नर्सरी कंपनी ने हर वर्ग का रखा ध्यान
पार्क निर्माण का कार्य कोलकाता की यूनाइटेड नर्सरी कंपनी ने किया है. यूनाइटेड नर्सरी के अरिंदम हाजरा ने बताया कि इकोलॉजिकल बैलेंस (पारिस्थितिक समन्वय) को ध्यान में रखते हुए निर्माण किया गया है. उन्हें कोलकाता के इको पार्क और निक्को पार्क जैसे विशाल, भव्य और सुंदर पार्क बनाने का अनुभव प्राप्त है. इस पार्क के निर्माण में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है. यह पार्क बच्चों, युवा, वृद्ध और महिलाओं सभी के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगा. पशुओं, पक्षियों और तितलियों को आकर्षित कर सके ऐसे पेड़-पौधे लगाये गये हैं.ये भी जानें
विधायक समीर मोहंती की पहल पर शुरू हुआ पार्क का निर्माणझारखंड का सबसे बड़ा पार्क होगा चाकुलिया इकोलॉजिकल डायवर्सिटी पार्क
पार्क निर्माण में आयी है लगभग 50 करोड़ की लागतपार्क में बच्चे, युवा और बुजुर्गों के लिए अलग-अलग सुविधा
काकड़ीसोल, अमलागोड़ा और पुरनापानी मौजा के 78 हेक्टेयर में बना है पार्कपार्क में छोटे-बड़े लगभग 10 लाख पौधे लगाये गये
शादी-विवाह समेत अन्य प्रयोजनों के लिए शुल्क देकर लिया जा सकेगा पार्ककल्पतरु वन, सफेद चंदन वन, लाल चंदन वन तथा शीशम वन आकर्षण का केंद्र
पार्क में शिवकुंड और स्वीमिंग पुल का हुआ है निर्माणकोलकाता में इको पार्क और निक्को पार्क बनाने वाली कंपनी ने निर्माण किया
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