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एक करोड़ खर्च के बाद भी नहीं बन मल्टीपर्पज भवन

झारखंड सरकार ने लगभग ढाई दशक पहले सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के प्रीमियर काॅलेज कहे जानेवाले संताल परगना महाविद्यालय यानी एसपी कॉलेज में एक करोड़ रुपये की लागत से मल्टीपर्पज बिल्डिंग बनाने की मंजूरी दी थी.

अनदेखी. एसपी कॉलेज में दो दशक पहले राज्य सरकार ने दी थी निर्माण की मंजूरी

आनंद जायसवाल, दुमका

झारखंड सरकार ने लगभग ढाई दशक पहले सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के प्रीमियर काॅलेज कहे जानेवाले संताल परगना महाविद्यालय यानी एसपी कॉलेज में एक करोड़ रुपये की लागत से मल्टीपर्पज बिल्डिंग बनाने की मंजूरी दी थी. भवन निर्माण की गति इस कदर थी कि एक करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी भवन का काम इतना तक भी नहीं हो पाया कि काॅलेज स्टोर रूम के रूप में भी इसका उपयोग कर सके. मिली जानकारी के मुताबिक झारखंड सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग ने रसिकपुर रोड में एसपी कॉलेज के लीची बगान कैंपस में इस मल्टीपर्पज बिल्डिंग के निर्माण की स्वीकृति यह सोचकर दी थी कि कॉलेज में परीक्षा आयोजित कराते वक्त कक्षाएं बाधित न हो. भवन तैयार हो जाता तो 500 से अधिक परीक्षार्थी एक साथ बैठकर परीक्षा दे पाते. इतना ही नहीं केंद्रीयकृत मूल्यांकन के दौरान भी इस सभागार का इस्तेमाल हो पाता. सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार आदि के आयोजन में तो भवन चार-चांद लगाता ही. न तो ईमानदारी से इस मल्टीपर्पज बिल्डिंग के बचे कार्य को पूरा कराने की मॉनिटरिंग हुई, न ही ठोस प्रयास. आठ साल पहले विश्वविद्यालय के द्वारा मल्टीपर्पज बिल्डिंग के बचे-खुचे काम को पूरा कराने के लिए रिवाइज्ड इस्टिमेट बनाया गया था. इस बचे हुए काम को पूरा कराने के लिए 166.36 लाख रुपये की प्राक्कलित राशि की अधियाचना की गयी थी. पर न तो यह पैसे सरकार ने कॉलेज को भेजे, न ही विश्वविद्यालय को. इधर, बचे काम को कराने के लिए कॉलेज या विश्वविद्यालय भी आंतरिक स्रोत से कोई पहल नहीं कर पाया है.

अलग-अलग समय में थोड़ा-थोड़ा हुआ काम

मिली जानकारी के मुताबिक मल्टीपर्पज बिल्डिंग के निर्माण का कार्य तत्कालीन कुलपति डॉ फटीक चंद्र हेंब्रम के कार्यकाल में 2004 में आरंभ हुआ था. थोड़ा बहुत काम कराये जाने के बाद काम बंद हो गया, तो चार-पांच साल तक बंद ही रहा. बाद में प्रोफेसर बशीर अहमद खान कुलपति बने, तो उन्होंने काम को आगे बढ़ाया. चहारदीवारी बनवा कर गेट भी लगवाया. हालांकि काम के नाम पर कुछ कमरों में प्लास्टर हुए और आगे के हिस्से में पुट्टी ही करायी गयी. फिर भी भवन का कमरा उपयोग के लायक नहीं हुआ. यानी करोड़ रुपये के आधा-अधूरे खंडहर में तब्दील हो रहे भवन का आज एक आना भी उपयोग में आया, कहना बेमानी ही होगी.

क्लास रूम की कमी, भवन से मिलती राहत : प्राचार्य

एसपी कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ खिरोधर प्रसाद यादव ने इस बाबत कहा कि मल्टीपर्पज भवन का काम लंबे अरसे से अधर में है. आज आधे-अधूरे बने बिल्डिंग का कोई उपयोग कॉलेज प्रबंधन नहीं कर पा रहा है. भवन बनता तो कम से कम परीक्षाएं आयोजित हो पाती, इससे कक्षाओं का संचालन प्रभावित नहीं होता. उसमें कुछ कमरे भी प्रस्तावित थे. उन कमरों का भी प्रशासनिक कार्य में उपयोग हो पाता. मल्टीपर्पज बिल्डिंग के बनने से छात्रहित में रचनात्मक गतिविधियां, सांस्कृतिक आयोजन, सेमिनार आदि को वहां आयोजित किया जा सकता था. विश्वविद्यालय से कई बार पत्राचार किया गया है. विवि स्तर से भी विभाग को लिखा गया है, पर अब तक फलाफल कुछ भी नहीं निकल पाया है.

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