– पेटसार में अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती मनायी गयी. सादगी, संयम और गहन भक्ति उनकी पहचान थी. प्रतिनिधि, बासुकिनाथ पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर की 300वीं जयंती जरमुंडी प्रखंड के पेटसार गांव में मनायी गयी. इस अवसर पर संशोधन सहायता समूह की महिलाओं द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें उनके जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला गया. भाजपा जिलाध्यक्ष गौरवकांत प्रसाद ने कहा वे कर्तृत्व, सादगी, धर्म के प्रति समर्पण, प्रशासनिक कुशलता, दूरदृष्टि एवं उज्ज्वल चारित्र्य का अद्वितीय आदर्श थीं. अहिल्यादेवी होलकर की सोच थी कि न्याय वह नींव है जिस पर एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण होता है. महारानी अहिल्याबाई होल्कर एक प्रसिद्ध मराठा शासिका थीं, जो मालवा क्षेत्र (मध्य भारत) की शासक थीं. वे अपने कुशल शासन, परोपकार और धार्मिक कार्यों के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने अपने राज्य में सुधार किए, मंदिरों का निर्माण करवाया और समाज में सुधार के लिए काम किया. एक माता के रूप में प्रजा के लिए संपूर्ण जीवन देने का काम किया. सादगी की संयम और गहन भक्ति यही उनकी पहचान थी. उनका मानना था कि जनता की सेवा केवल आदेशों से नहीं बल्कि धरातल पर काम करके की जाती है. मौके पर पंचायत समिति सदस्य सह मंडल उपाध्यक्ष बबीता देवी, रमाकांत शर्मा, अरुण राय, गोपाल दास, टिंकू झा, जयनाथ लायक, परीक्षित ततवा, गंगाधर ततवा, चांदनी देवी, चंपा देवी, शांति देवी, चंदन राय, संगीता देवी, किरण देवी, गुगली देवी, नंदनी देवी, सारोतीया देवी, फूलन देवी, प्रवीण सिंह, नरेश पंडा, पप्पू सिंह आदि सैकड़ो की संख्या में महिलाएं उपस्थित थी.
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