रामगढ़. प्रखंड के भालसुमर पंचायत के गम्हरिया हाट के मिर्धा टोले में बुधवार को अगहनी काली पूजा धूमधाम से आयोजित की गयी. काली स्थान में परंपरागत ढंग से मां काली की प्रतिमा स्थापित कर पूजन किया गया. पूजन के उपरांत बकरों की बलि भी दी गयी. यहां अगहनी काली पूजा की परंपरा का प्रारंभ कई पीढियों पूर्व मंजू मिर्धा, शिवा मिर्धा, बलराम मिर्धा, कंचन मिर्धा, जगन्नाथ मिर्धा आदि के बड़ी रण बहियार पंचायत के सुहो दुहो ग्राम में रहने वाले पूर्वजों द्वारा की गयी थी. कालांतर में मिर्धा परिवार का विस्तार होने के बाद मिर्धा परिवार के वंशज रामगढ़ प्रखंड के बगबिंधा, गम्हरिया हाट तथा सरैयाहाट प्रखंड के साथ -साथ पश्चिम बंगाल में भी जाकर बस गए. लेकिन उनकी कुलदेवी मां काली की आराधना परंपरागत रूप से यहां हर वर्ष होती रही. कालांतर मैं परिवारों के बढ़ने के बाद काली पूजा का आयोजन भी अगहन माह में दो बार होने लगा. परंपरागत रूप से यहां अगहनी काली पूजा का आयोजन धान के नयी फसल की कटाई के बाद होता है. सोमवार को नियम एवं संयम के बाद मंगलवार की रात में काली स्थान पर मां काली की प्रतिमा स्थापित कर परंपरागत विधि विधान से पूजा की जाती है. बुधवार को कलश एवं प्रतिमा विसर्जन के साथ ही माता को विदाई दी जाती है. समापन के दिन बुधवार को मेले का आयोजन भी होता है. जबकि मंगलवार की रात में गीत-संगीत एवं रात्रि जागरण आयोजित होता है.
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