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शौचालय निर्माण की गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल

कहीं शौचालय को बना दिया स्टोर रूम दुमका : जिलेभर को ओडीएफ करने को लेकर सरकार और जिला प्रशासन एड़ी चोटी एक कर रहा है. जिसके तहत पूरे प्रखंड में युद्धस्तर पर शौचालय निर्माण का काम भी चल रहा है, परंतु अधिकांश शौचालय बेकार साबित हो रहे हैं. गुणवत्ता की कमी के कारण कई जगहों […]

कहीं शौचालय को बना दिया स्टोर रूम

दुमका : जिलेभर को ओडीएफ करने को लेकर सरकार और जिला प्रशासन एड़ी चोटी एक कर रहा है. जिसके तहत पूरे प्रखंड में युद्धस्तर पर शौचालय निर्माण का काम भी चल रहा है, परंतु अधिकांश शौचालय बेकार साबित हो रहे हैं. गुणवत्ता की कमी के कारण कई जगहों में बनने के साथ ही शौचालय टूटने लगे हैं, तो कहीं लोग शौचालय का इस्तेमाल पुआल और लकड़ी रखने के लिए कर रहे हैं. वहीं अबतक प्रखंड के कई गांवों में शौचालय निर्माण के लिए नींव तक नहीं रखी गयी है. जिले में ऐसे भी पंचायत है जिसे ओडीएफ तो घोषित कर दिया गया है पर उस गांव के कई लोगों के घर पर आज भी शौचालय उपलब्ध नहीं है. ऐसे में जिले को ओडीएफ बनाना सपने जैसा लगने लगा है.
पुआल और लकड़ी रखने के काम आ रहा है शौचालय
रानीश्वर. प्रखंड संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में शौचालय का निर्माण कराया गया. परंतु अधिकांश शौचालय का उपयोग लोग नहीं कर पा रहे हैं. शौचालय निर्माण कार्य में लगाये गये कंक्रीट मवेशियों को चारा खिलाने का काम में लगाया है. वहीं स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाये गये शौचालय संवेदकों के द्वारा घटिया किस्म के बनाये जाने से अधिकांश शौचालय व्यवहार के लायक नहीं है. 12 हजार रुपये की लागत से स्वीकृत शौचालय निर्माण कार्य में विभिन्न स्तर पर नजराना लिए जाने से मात्र 9 हजार रुपये से ही लाभुकों का शौचालय बनाया गया है. 12 हजार के बदले मात्र नौ हजार की लागत से बनाये गये अधिकांश शौचालयों का ढांचा तो खड़ा किया गया है. जिसकी जांच के दौरान गिनती के काम तो आ सकता है परंतु उपयोग में लाना संभव नहीं है. लोग इसका उपयोग पुआल, सुखी लकड़ी आदि रखने में कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार शौचालय निर्माण के लिए संपूर्ण राशि विभाग की ओर से उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण बहुत सारे गांवों में शौचालय निर्माण कार्य अपूर्ण रह गया है. दक्षिणजोल पंचायत के अलीगंज, निझुरी, बांकाकेंद्र, बेलबुनी आदि गांवों में शौचालय निर्माण के लिए राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी है. अभी भी ग्रामीण खुले में शौच करने को मजबूर हैं.
बोले ग्रामीण
ग्राम सभा कर पांच बार कई बार सूची प्रखंड को दिया गया है, लेकिन अभी तक किसी को शौचालय उपलब्ध नहीं कराया गया है. शौचालय के अभाव में महिलाओं को भी खुले में शौच जाना पड़ रहा है.
नमिता मरांडी, जलसहिया धौबना
शौचालय नहीं बनना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है. जनप्रतिनिधि व अधिकारी को शौचालय नहीं रहने की जानकारी दी गयी है. अभी तक किसी ने पहल नहीं की.

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