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आधुनिक व जैविक खेती करने पर दिया जोर

कार्यशाला. विश्व मृदा दिवस पर मिट्टी क्षरण को रोकने के लिए किसानों को किया जागरूक मिट्टी बनने में लाखों वर्ष लगते हैं, बर्बाद होने से बचें किसान : डीडीसी संयुक्त कृषि निदेशक ने मिट्टी क्षरण रोकने के लिए दिये कई टिप्स गलत रासायनिक खाद के इस्तेमाल से होनेवाले नुकसान की भी दी गयी जानकारी दुमका […]

कार्यशाला. विश्व मृदा दिवस पर मिट्टी क्षरण को रोकने के लिए किसानों को किया जागरूक

मिट्टी बनने में लाखों वर्ष लगते हैं, बर्बाद होने से बचें किसान : डीडीसी
संयुक्त कृषि निदेशक ने मिट्टी क्षरण रोकने के लिए दिये कई टिप्स
गलत रासायनिक खाद के इस्तेमाल से होनेवाले नुकसान की भी दी गयी जानकारी
दुमका : विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र दुमका में कार्यशाला का आयोजित किया गया. उद‍्घाटन जिला परिषद‍ के उपाध्यक्ष असीम मंडल व उप विकास आयुक्त शशि रंजन ने संयुक्त रूप से किया. उप विकास आयुक्त ने मिट्टी के क्षरण को रोकने की अपील की. कहा कि मिट्टी बनने में लाखों वर्ष लगते हैं. यही ऐसी चीज है, जिसकी बदौलत 95 प्रतिशत खाद्य पदार्थ तैयार हो पाता है. उन्होंने कहा कि कुप्रबंधन, गलत रासायनिक खाद के इस्तेमाल व प्रदूषण से विश्व की 33 प्रतिशत मिट्टी बर्बाद हो चुकी है.
80 करोड़ व्यक्ति खाद्य असुरक्षा का संकट झेल रहे हैं. ऐसे में मिट्टी की सुरक्षा अति महत्वपूर्ण है. जिला परिषद‍् उपाध्यक्ष असीम मंडल ने कहा कि कहा कि धरती को हम मां कहते हैं, तो उसकी देखभाल भी हमारी जवाबदेही है. उन्होंने पोषक तत्वों के संतुलन बनाये रखने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के परामर्श के अनुरूप आवश्यक कदम उठाये जाने पर बल दिया.
उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल की बजाय जैविक खाद के उपयोग पर जोर दिया. संयुक्त कृषि निदेशक अजय कुमार सिंह ने जल प्रबंधन के अभाव में मृदा के होनेवाले क्षरण को लेकर किसानों को जागरूक किया. खेत की मिट्टी खेत में रहे. इसके लिए आवश्यक उपाय करने पर जोर दिया. इसके लिए मेढ़बंदी, भूमि समतलीकरण एवं ढलान के विपरीत खेती करने का भी सुझाव दिया. केवीके के वरीय वैज्ञानिक डॉ श्रीकांत सिंह ने बताया कि दुमका में मिट्टी के दस हजार नमूने की जांच हुई है.
इसमें 12 बिंदुओं पर जांच कर किसानों को उर्वरक व पोषक तत्वों की अनुशंसा की जाती है. जिसमें अम्लीयता, नाइट्रोजन, फाॅस्फोरस, पोटाशियम, सल्फर, बोरान, कार्बन, कॉपर, मैगनीज इत्यादि शामिल हैं. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के संदेश का वीडियो भी दिखाया गया . तकनीकी सत्र में किसानों को मृदा जांच के नमूने लेने की विधि, उर्वरक के संतुलित उपयोग, फसल चक्र इत्यादि की जानकारी दी गयी.
जिला सहकारिता पदाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने रबी फसलों के बीमा के बारे में बताते कहा कि गेहूं, चना, सरसों एवं आलू की खेती के लिए प्रीमियम की राशि इस वर्ष क्रमश: 323, 184, 251 एवं 2895 रुपये है, जिसके तहत क्रमश: 21553, 12881, 16738 एवं 57918 रुपये बीमित राशि प्राप्त होंगे. आत्मा की ओर से 25 किसानों को परिभ्रमण के लिए दलहन शोध संस्थान कानपुर तथा 25 पशुपालकों को बकरी पालन के लिए मथुरा भेजने की घोषणा की गयी.
कार्यक्रम को जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र सिंह, आत्मा के परियोजना निदेशक डॉ दिवेश कुमार सिंह, भूमि संरक्षण पदाधिकारी डॉ मदन मोहन जायसवाल, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डॉ बीके भगत दि ने संबोधित किया. मौके पर डॉ जयंत कुमार लाल, डॉ संजय कुमार, डॉ पीबी साहा, डॉ सुनील आदि मौजूद थे.

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