आइएसएम प्रशासन के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पहल भारत और ब्रिटेन के बीच महत्वपूर्ण खनिजों की सुरक्षित, टिकाऊ और मजबूत सप्लाई चेन विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम होगा. ऑब्जर्वेटरी के दूसरे चरण के साथ एक इंडस्ट्री गिल्ड भी गठित की जायेगी, जो इस क्षेत्र में शोध, नवाचार और नीति सहयोग को बढ़ावा देगी. आइआइटी-आइएसएम धनबाद, जो खनन और भूविज्ञान के क्षेत्र में सौ वर्ष की अकादमिक विरासत रखता है, इस मिशन का उपयुक्त केंद्र बनेगा. यहां स्थापित सैटेलाइट कैंपस नीति निर्माण, अनुसंधान और तकनीकी नवाचार का हब बनेगा. यह निर्णय भारत की क्रिटिकल मिनरल्स खोज, प्रसंस्करण और सप्लाई चेन प्रबंधन क्षमता को मजबूत करेगा और वैश्विक साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ाएगा. इस पहल से भारत की ऊर्जा परिवर्तन और सतत विकास के प्रयासों को भी बल मिलेगा. यह पहल भारत–यूके के बीच चल रही तकनीकी और नवाचार साझेदारी को भी मजबूती देगी. दोनों देशों के बीच पहले से ही कनेक्टिविटी और नवाचार केंद्र और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए संयुक्त केंद्र जैसी परियोजनाएं चल रही हैं. आइआइटी आइएसएम प्रशासन ने प्रधानमंत्री की इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि इससे संस्थान की भूमिका एक राष्ट्रीय और वैश्विक शोध केंद्र के रूप में और सशक्त होगी तथा भारत के खनिज क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे.
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