धनबाद.
नदियों को बांधा नहीं जाना चाहिए. उन्हें बांधने से, उन पर डैम बनाने से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. अब भारत समेत दुनिया भर में नदियों को बांधने पर जबरदस्त विरोध किया जा रहा है. उक्त बातें जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और दामोदर बचाओ आंदोलन के प्रणेता सरयू राय ने मंगलवार को कही. वह आइआइटी आइएसएम धनबाद में विश्व पृथ्वी दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. आइआइटी आइएसएम, युगांतर भारती, मेल-हब के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि नदियों पर डैम बनाने के दुष्परिणाम धीरे-धीरे अब दुनिया के सामने आने लगे हैं. आज पर्यावरण को सबसे ज्यादा खतरा मानवीय गतिविधियों से हो रहा है. यह इंसान ही है, जिसने प्रकृति का अपने हित के लिए दोहन किया और उसकी हालत खराब की.युगांतर भारती – आइआइटी आइएसएम के बीच हुआ एमओयू
इसके पूर्व झारखंड में पर्यावरण और जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन पर संयुक्त रूप से प्रयास करने के लिए स्वयंसेवी संस्था युगांतर भारती और आइआइटी आइएसएम धनबाद के बीच एमओयू हुआ. युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण और आइआइटी आइएसएम की ओर से प्रो अंशुमाली ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये. संगोष्ठी के मुख्य वक्ता आइआइटी खड़गपुर के प्रोफेसर अशोक कुमार गुप्ता ने पीपीटी के माध्यम से ‘ट्रांसफॉर्मिंग एंड वेस्ट वाटर मैनेजमेंट इन इंडिया: एडवांसिंग सस्टेनेबिलिटी एंड एनर्जी एफिशिएंसी एप्रोच’ विषय पर व्याख्यान दिया. आइआइटी आइएसएम के प्रो अंशुमाली, निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा, विशिष्ट अतिथि युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण, आइआइटी आइएसएम के डीन एसके गुप्ता, भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत संजय रंजन सिंह, पर्यावरणविद डाॅ राकेश कुमार सिंह, दामोदर बचाओ आंदोलन के धनबाद जिला संयोजक अरुण राय ने अपन विचार रखे. स्वागत भाषण आआइआइटी आइएसएम के पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आलोक सिन्हा व धन्यवाद ज्ञापन प्रो सुरेश पांडियन ने किया. मंच संचालन मेल-हब की डॉ मेघा त्यागी ने किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है