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DHANBAD NEWS : कल से शुरू होगा आगमन काल, हर किसी को शांता क्लॉज का इंतजार

दिसंबर के पहले रविवार से प्रभु का आगमन काल माना जाता है, क्रिसमस मनाने के पहले चार रविवार को एडवेंट संडे मनाया जाता है.

दिसंबर माह ईसाई समुदाय के लिए पावन महीना होता है. रविवार से दिसंबर माह प्रारंभ होने के साथ ही मसीही भाई बहनों का आगमन काल भी शुरू हो जायेगा. क्रिसमस मनाने के पहले चार रविवार को एडवेंट संडे मनाया जाता है. पहला एडवेंट संडे एक दिसंबर को मनाया जायेगा. इस दिन से प्रभु यीशु के आगमन की तैयारी शुरू हो जाती है. दिसंबर के पहले रविवार से प्रभु का आगमन काल माना जाता है. ईसाई समुदाय इसी दिन से घर घर जाकर कैरोल गाते हैं. प्रभु के आगमन की तैयारी समुदाय द्वारा की जाने लगती है. कोई नये कपड़े खरीदने लगता है, तो कोई दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए उपहार खरीदता है. केक का ऑर्डर अभी से बुक होने लगता है.

फिजा में गूंजेगे कैरोल सॉन्ग

: दिसंबर माह के शुरुआत से ही शांता क्लॉज का भी इंतजार शुरू हो जाता है. कब किसी गली, अपार्टमेंट की काॅल बेल बज उठे और द्वार पर मुस्कुराता हुआ शांता मिले, आपको प्यारा से गिफ्ट देकर हैप्पी क्रिसमस बोले इसके लिए भी तैयार रहें. चर्च में भी क्रिसमस डे की तैयारी शुरू हो जाती है. गेट टु गेदर के लिए रिहर्सल होने लगते हैं. कैरोल सॉन्ग फिजां में गूंजने लगती है. ईसा मसीह आनेवाले है. चारों दिशा से ये आवाज आने लगती है. चार रविवार को मनाया जाता है एडवेंट संडे : क्रिसमस के पहले चार रविवार को एडवेंट संडे मनाया जाता है. पहला एडवेंट संडे एक दिसंबर, दूसरा आठ दिसंबर, तीसरा 15 दिसंबर व चौथा एडवेंट संडे 22 दिसंबर को मनाया जायेगा है. उसके बाद 24 दिसंबर को क्रिसमस प्रभु के आने की खुशी चर्च में मनायी जाती है. आधी रात को चरनी में बालक यीशु के जन्म लेने के साथ ही हैप्पी क्रिसमस, मेरी क्रिसमस से चर्च गूंज उठते हैं. घंटियां बजने लगती है.

एडवेंड संडे पर चर्च में होती है मिस्सा प्रार्थना :

क्रिसमस के पहले एडवेंट संडे से अंतिम एडवेंट संडे पर चर्च में मिस्सा प्रार्थना सभा होती है. चर्च के फादर उपदेश देते हैं. कहते हैं इस आगमन काल में सभी प्रकार की बुराई से दूर रहना, दूसरों के प्रति अन्याय नहीं करना, दूसरों की बुराई नहीं करना, दूसरों को हानि नहीं पहुंचना, दूसरों की सहायता करना हमारा प्रथम कर्तव्य होना चाहिए. ईसाईयों के लिए बहुत विशेष काल होता है. हम अपने आप को आंतरिक तरीके से तैयार करते है. आंतरिक रूप से तैयार होने का तात्पर्य है आत्मा की साफ-सफाई अर्थात आत्मिक शुद्धता. एडवेंट काल में फादर बैंगनी रंग का वस्त्र पहन कर मिस्सा प्रार्थना आयोजित करते है, क्योंकि यह रंग गंभीरता व स्थिरता को प्रदर्शित करता है. यह बताता है कि आगमन काल का समय धूम–धाम का नहीं बल्कि आत्म चिंतन का है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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