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पीएमसीएच की जीएनएम छात्राओं को वेयर हाउस खाली करने का आदेश, जर्जर हॉस्टल रहने लायक नहीं
धनबाद : सरकार एक ओर जहां ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दे रही है, वहीं दूसरी ओर पीएमसीएच की 153 जीएनएम (जेनरल नर्सिंग मिडवाइफ्री) छात्राआें कोे पढ़ाई तो दूर उन्हें हॉस्टल के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. जर्जर जीएनएम हॉस्टल छोड़ छात्राएं एएनएम हॉस्टल में शिफ्ट हुईं. वहां कम जगह व पहले से […]
धनबाद : सरकार एक ओर जहां ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दे रही है, वहीं दूसरी ओर पीएमसीएच की 153 जीएनएम (जेनरल नर्सिंग मिडवाइफ्री) छात्राआें कोे पढ़ाई तो दूर उन्हें हॉस्टल के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. जर्जर जीएनएम हॉस्टल छोड़ छात्राएं एएनएम हॉस्टल में शिफ्ट हुईं.
वहां कम जगह व पहले से रह रहीं छात्राआें से तकरार के बाद जीएनएम छात्राआें को कोर्ट मोड़ के सदर अस्पताल प्रांगण में स्थित वेयर हाउस में शरण दी गयी. अब मुख्यालय (रांची) ने 20 दिनों में वेयर हाउस को भी खाली करने का आदेश दे दिया है. अब जीएनएम छात्राआें के सामने फिर संकट खड़ा हो गया है कि वे अब कहां जायें. इसको लेकर पीएमसीएच प्रबंधन व सिविल सर्जन कार्यालय में मत्था-पच्ची शुरू हो गयी है. बता दें कि सिविल सर्जन ने विभाग को पत्र लिख कर वेयर हाउस की मांग की है, इसमें कई जरूरी सामान व दवाइयां आदि रखने हैं.
खतरनाक घोषित होने पर छोड़ी थी छात्राओं ने हाॅस्टल : पीएमसीएच में जीएनएम छात्राओं का हॉस्टल काफी जर्जर हो गया था. हर दिन प्लास्टर गिरने ने छात्राएं घायल हो रही थीं. रांची से हाइ पावर कमेटी की टीम ने आकर हॉस्टल की जांच की. इंजीनियरों की टीम ने जांच के बाद भवन को खतरनाक घोषित कर दिया. इसके बाद वर्ष 2016 में आनन-फानन में छात्राओं को सदर अस्पताल प्रांगण के एएनएम हॉस्टल में शिफ्ट करा दिया गया, लेकिन यहां पहले से रह रहीं एएनएम छात्राओं को परेशानी होने लगी. इसे लेकर एएनएम व जीएनएम छात्राएं आमने-सामने आ गयीं. इसके बाद बगल में बन कर तैयार वेयर हाउस में जीएनएम छात्राआें को शिफ्ट करा दिया गया.
कंपीटिशन पास कर होता है नामांकन, न स्कूल, न हॉस्टल : राज्य के तीन मेडिकल कॉलेजों (रिम्स, एमजीएम व पीएमसीएच) में जीएनएम की पढ़ाई होती है. पीएमसीएच में जीएनएम की 40 सीटें हैं. छात्राओं का चयन कंपीटिशन के बाद होता है. बावजूद यहां न छात्राओं के लिए स्कूल है आैर न हॉस्टल. हॉस्टल जर्जर होने के बाद लाइब्रेरी उसी में रह गयी. कई जरूरी सामान व उपकरण हाॅस्टल में ही रह गयी हैं. अस्पताल में छात्राएं प्रैैक्टिकल तो कर लेती हैं, लेकिन उनकी थ्योरी क्लास बाधित हो रही है.
जिला प्रशासन का छात्राओं ने कई बार किया घेराव
भंडार के रूप में बनाये गये वेयर हाउस में छात्राओं को तो शिफ्ट करा दिया गया, लेकिन एक हॉल में ही 80 छात्राओं को भर दिया गया. किसी तरह लगभग एक सौ से अधिक छात्राएं यहां रह रही थी. लेकिन पानी, शौचालय की समस्या को लेकर छात्राओं ने कई बार जिला प्रशासन का घेराव किया, लेकिन उपायुक्त के आदेश के बावजूद पीएमसीएच के चिकित्सकों ने कोई पहल नहीं शुरू की.
सीनियर रेजिडेंट का क्वार्टर है खाली
छात्राओं के लिए एकमात्र उम्मीद की किरण अब पीएमसीएच में खाली पड़े सीनियर रेजिडेंट (एसआर) के क्वार्टर पर हैं. फिलहाल यहां कोई भी रेजिडेंट नहीं रह रहे हैं. इसकी मरम्मत भी करायी गयी है. हालांकि इस भवन को एसआर से जीएनएम के क्वार्टर में कन्वर्ट करने का काम किया जा सकता है.
मुख्यालय ने पत्र भेजा है
वेयर हाउस को खाली करने के लिए मुख्यालय ने पत्र भेजा है. इस बारे में पीएमसीएच के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया था, लेकिन कोई नहीं आये, फिर से उन्हें बुलाया जा रहा है.
डॉ सी श्रीवास्तव, सीएस, धनबाद
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