जांच कमेटी की रिपोर्ट, सुधार के लिए तीन महीने की मोहलत
एस कुमार
धनबाद : ‘बीसीसीएल की आउटसोर्सिंग में ठेका श्रम कानून का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है. ठेका मजदूरों को हाई पावर कमेटी (एचपीसी) का वेतन नहीं मिल रहा है.
उनका शोषण किया जा रहा है. मजदूरों के शोषण पर प्रबंधन चुप्पी साधे हुए है. और सबसे बड़ी बात यह कि बीसीसीएल के अधिकारियों में ठेका श्रम कानून एवं सरकार के प्रति कोई सम्मान नहीं है.’ यह खुलासा किया है केंद्रीय श्रम मंत्रालय के केंद्रीय ठेका श्रम सलाहकार बोर्ड ( सीएसीएलबी ) द्वारा गठित एक जांच कमेटी ने.
इस जांच कमेटी ने बीसीसीएल के ब्लॉक दो एरिया में बीते 21 मई को निरीक्षण किया था. इस क्रम में जांच कमेटी ने एक आउटसोर्सिंग एवं रेलवे साइडिंग का निरीक्षण किया था. निरीक्षण के क्रम में मजदूरों एवं बीसीसीएल के अधिकारियों से बात भी की थी. जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार एवं कोल इंडिया को भेज दी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी ने बीसीसीएल को सुधार के लिए तीन माह का समय देते हुए कहा है कि अगर स्थिति में सुधारनहीं होता है तो ठेका श्रम कानून में कंपनी को मिली छूट समाप्त कर दी जानी चाहिए.
जांच कमेटी में कौन-कौन : केंद्रीय ठेका श्रम सलाहकार बोर्ड ने 21 मार्च 2018 को एक कमेटी का गठन किया. कोल कंपनियों को आउटसोर्सिंग कंपनियों से कोयला उत्पादन कराने के लिए ठेका श्रम कानून में छूट की जांच के लिए इस कमेटी का गठन किया गया. कमेटी के अध्यक्ष भूम सुरभि राव थे. रमेंद्र कुमार ( एटक ), राजेंद्र सिंघा (एचएमएस) और डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर धनबाद एके सामंतों रे सदस्य के रूप में शामिल थे. इसी कमेटी ने 21 मई को बीसीसीएल के ब्लॉक दो एरिया में जांच की थी.
जांच के दौरान बीसीसीएल के ये अधिकारी थे उपस्थित : कार्मिक निदेशक आर एस महापात्रा, महाप्रबंधक ब्लॉक दो बीके सिन्हा, जीएमपी, एचओडी लीगल आरके सिंह, सीपीएम एके दुबे, अफसर ( इंचार्ज ) ठेका मजदूर सेल, एरिया कार्मिक प्रबंधक.
कमेटी ने जांच में जो पाया
ठेका श्रम कानून का उल्लंघन.
बीसीसीएल ठेका श्रम कानून लागू करने के प्रति गंभीर नहीं. अधिकारियों का दृष्टिकोण ठीक नहीं. उनके मन मे ठेका श्रम कानून एवं सरकार के प्रति सम्मान का भाव नहीं. कंपनी के अधिकारी बिना डर भय के साफ तौर से अनियमितता कर रहे हैं.
ठेकेदार का रजिस्टर अपडेट नहीं.
ठेका मजदूरों को वेतन पर्ची नहीं मिलती.
ठेका कर्मियों को एचपीसी का वेतन नहीं मिलता. कंपनी के अधिकारी एचपीसी को सनक और मनमुताबिक लागू करते हैं.
माइंस रूल्स 1952 के तहत ठेका मजदूरों को सवैतनिक छुट्टी नहीं मिलती है.
कार्यस्थल पर पेयजल एवं फर्स्ट एड उपलब्ध नहीं.
डिप्लोमाधारी इंजीनियर को 7-8 हजार एवं आईटीआई होल्डर को 5-6 हजार वेतन.
ब्लॉक दो में 22 एवं पूरे बीसीसीएल में 500 जीप / कार चालकों को 5 – 7 हजार वेतन और 12 घंटे काम. ठेकेदार द्वारा शोषण किया जा रहा है. बीसीसीएल प्रबंधन इस शोषण पर मौन साधे हुए है.
रेलवे साइडिंग में मजदूरों की हाजिरी बनती है या नहीं, इसकी जानकारी साइडिंग इंचार्ज या प्रबंधक को नहीं.
जांच कमेटी की अनुशंसा
बीसीसीएल तीन माह में सुधार करे. अन्यथा ठेका श्रम कानून में मिली छूट समाप्त होनी चाहिए.
कार / जीप चालको को स्किल्ड वर्कर का वेतन दिसंबर 2015 से और दो माह में एरियर का भुगतान होना चाहिए. समय-समय पर इनके वेतन में वृद्धि होनी चाहिए.
डिप्टी चीफ लेबर कमिश्नर धनबाद तीन माह में सभी आउटसोर्सिंग की जांच कर रिपोर्ट दें.