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Deoghar News : इस बार मनायें ग्रीन महाशिवरात्रि, लगायें पौधे : पं प्रदीप मिश्रा

कोठिया में चल रहे सात दिवसीय शिव महापुराण कथा में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. दूसरे दिन प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी महाराज ने दिव्य प्रवचन देते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया और आने वाली महाशिवरात्रि को ‘ ग्रीन शिवरात्रि’ के रूप में मनाने का संकल्प दिलाया.

संवाददाता, देवघर : कोठिया में चल रहे सात दिवसीय शिव महापुराण कथा में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. शनिवार को भी करीब डेढ़ लाख श्रद्धालुओं की भीड़ कथा स्थल पर पहुंची, जिससे पूरा क्षेत्र शिवभक्ति के रंग में रंगा रहा. दूसरे दिन प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी महाराज ने दिव्य प्रवचन देते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया और आने वाली महाशिवरात्रि को ‘ ग्रीन शिवरात्रि’ के रूप में मनाने का संकल्प दिलाया. कथास्थल तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से पैदल यात्रा कर पहुंचते दिखे. उनका उत्साह चरम पर था. कार्यक्रम की शुरुआत में महाराज जी ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर लोगों को जल, जंगल व जमीन बचाने का संदेश दिया. कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालुओं से कहा कि इस महाशिवरात्रि के दिन ग्रीन महाशिवरात्रि के रूप में मनायें और हर एक व्यक्ति इस दिन एक पौधे लगाये. ऐसा पूरे भारत में एक साथ मनाने से एक दिन में एक साथ करोड़ों की संख्या में पौधे लगाये जा सकते है. प्रवचन के दौरान महाराज जी ने रावण, शिवभक्ति, बैद्यनाथधाम की रहस्यमय कथा और जीवन के मूल मंत्रों के बारे में बताया. उन्होंने रावण और भगवान शिव संबंधी प्रसंग को समझाते हुए कहा कि रावण पूजा, मंत्र जाप, स्तुति, भजन और स्मरण सब करता था, मगर भावपूर्ण भक्ति नहीं कर सका. रावण अहंकार में डूबा रहता था. साथ ही रावण वह शक्ति जुटाना चाहता था, जिसे वह अपना मान ले. इसलिए वह कैलाश तक उठाने की बातें करता था. इसके बावजूद भगवान शिव भाव के भूखे हैं. इसी कारण उन्होंने रावण की प्रार्थनाएं भी स्वीकार की. शिव के आशीर्वाद से होता है आत्मिक और आध्यात्मिक उत्थान प्रवचन में महाराज जी ने बाबा बैद्यनाथ की अनोखी और रहस्यमयी कथा का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि बाबा बैजनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसे शक्तिपीठ भी कहा जाता है. इसका प्रारंभ माता कौशल्या से जुड़ा है. माता कौशल्या राजा सुकौशल की पुत्री थीं, जिनका संबंध छत्तीसगढ़ से माना जाता है. इस कथा से महाराज सुकौशल का गुरु तत्वमुनि से भी गहरा संबंध बताया गया. तत्वमुनि ने ही वह निर्णायक भूमिका निभायी, जिससे बैद्यनाथधाम की कथा और प्रबल हुई. उन्होंने कहा कि कथा का लाभ केवल पंडाल में बैठकर ही नहीं, बल्कि घर बैठे भी लिया जा सकता है, क्योंकि भक्ति का मूल्य स्थान से नहीं, भाव से है. उन्होंने बताया कि भक्त वही हैं, जिनके हृदय में दया, विनम्रता और सरलता हो. शिव सर्वाधिक दयालु देव हैं. रावण जैसा तामसी भी जब उनकी शरण में गया, तो वे उसे खाली हाथ नहीं लौटाये थे. शिव के द्वार से आज तक कोई भी निराश नहीं लौटा. जीवन के लिए प्रेरक शिक्षा देते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में दिखावा नहीं करना चाहिए. दिखावा करने वाला कभी सफल नहीं होता, क्योंकि प्रदर्शन मनुष्य के भीतर अहंकार उत्पन्न करता है. उन्होंने कहा कि शंकर के पास धन-दौलत नहीं है, पर उनकी कृपा अपार है. उनके भक्त कभी अभाव का अनुभव नहीं करते, क्योंकि शिव का आशीर्वाद आत्मिक और आध्यात्मिक दोनों स्तर पर उत्थान करता है. भगवान की शरण में जो होते हैं, उन्हें विकल्प की जरूरत नहीं कथावाचक ने कौन बनेगा करोड़पति का उल्लेख करते हुए कहा कि इस प्रतियाेगिता में आजतक मंजिल कुछ प्रतिभागी ही पहुंच पाये हैं. सामने हॉट सीट पर बैठे प्रतिभागी से जब सवाल किया जाता है, तो हर सवालों के जवाब के लिए विकल्प दिया जाता है. इसी चार विकल्प में प्रतिभागी उलझ कर रह जाते हैं और मंजिल तक नहीं पहुंच पाते हैं. यह एक प्रश्न का एक विकल्प हो तो लोग जरूर मंजिल तक पहुंच सकते हैं. इसी प्रकार लोग विकल्प रहने के कारण मंजिल तक नहीं पहुंच पाते हैं, लेकिन यहां सभी प्रश्नों का विकल्प भगवन शिव हैं, जो भगवान की शरण में होते हैं, उन्हें कोई विकल्प की जरूरत नहीं होती है. सिदो-कान्हू के वंशज भी पहुंचे शिव महापुराण कथा में पहुंचे सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू ने लोगों को जनजातीय गौरव दिवस की शुभकामना देने के साथ ही महाराज ही से वनों को बचाने का निवेदन किया. इसके प्रत्युत्तर में पं प्रदीप मिश्रा जी महाराज ने सभी श्रद्धालुओं को आने वाली शिवरात्रि को हरित शिवरात्रि के रूप में मनाने का संकल्प दिलाया. वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पर्यावरण गतिविधि के संयोजक गोपाल आर्या ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि आरएसएस इस कार्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन करेगा. हाइलाइट्स शिवमहापुराण कथा के दूसरे दिन कोठिया में करीब डेढ़ लाख भक्तों ने सुना प्रवचन पंडित प्रदीप मिश्रा ने दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश

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