संवाददाता, देवघर : दशलक्षण महापर्व का शनिवार को समापन हो गया. पर्व का अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म को समर्पित रहा. शनिवार को दशलक्षण पूजन में प्रथम अभिषेक विवेक जैन, अभिषेक जैन, अमित जैन, गौतम जैन, सन्नी जैन, अंशु, प्रियांशु,अक्षत जैन ने किया, जबकि शांतिधारा ताराचंद जैन, राजेश जैन, ऋषभ जैन, सम्मेद जैन ने किया. इसके बाद आरती, दशलक्षण पूजन, उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पूजन, भगवान वासुपूज्य पूजन व भगवान वासुपूज्य स्वामी का मोक्ष कल्याणक दिवस पर लड्डू चढ़ाया गया. दोपहर में अनंत चतुर्दशी कलश हुआ व शाम में आरती व शास्त्र वाचन किया गया. इसमें पंडित ज्ञानचंद्र जैन ने उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि मन, वचन व काया से पांचों इंद्रियों के विषयों का पूर्णतः त्याग करना उत्तम ब्रह्मचर्य है. ध्यान रहे स्त्री मात्र का त्याग करना सामान्य ब्रह्मचर्य है, पर उत्तम ब्रह्मचर्य बहुत बड़ी चीज है. आचार्य कहते हैं अपनी ब्रह्ममई आत्मा में रमने का नाम ही उत्तम ब्रह्मचर्य है. यह परमात्मा को पाने का सबसे उत्तम साधन है. मौके पर डॉ आनंद जैन, अशोक जैन, प्रमोद जैन, अजीत जैन, सुरेश पाटनी कोषाध्यक्ष जुगल किशोर जैन समेत अन्य थे.
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