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31 अगस्त से शुरू होगी बाबा बैद्यनाथ की स्पर्श पूजा, मलमास के कारण बढ़ीं त्योहारों की तिथियां

सावन मास की अंतिम सोमवारी पर बाबा मंदिर में भारी संख्या में भक्त पहुंचे. पूरे शहर में बोलबम का मंत्र गुंजायमान रहा. मलमास के कारण दो महीने बाद 31 अगस्त को रक्षाबंधन के साथ श्रावणी मेले का समापन हो जायेगा. इसके बाद बाबा बैद्यनाथ की स्पर्श पूजा शुरू हो जाएगी. इस साल त्योहार भी देर से आएंगे.

Deoghar News: सावन की आठवीं व अंतिम सोमवारी पर बाबा मंदिर में भारी संख्या में भक्त पहुंचे और अरघा से बाबा बैद्यनाथ का जलार्पण कर मंगलकामना की. सोमवारी पर जलार्पण के लिए कांवरियों की कतार मंदिर का पट खुलने के पूर्व करीब किमी दूर बीएड कॉलेज तक पहुंच गयी थी. पुरुषोत्तम मास के कारण दो माह तक चलने वाले श्रावणी मेले का 31 अगस्त को रक्षा बंधन के साथ समापन हो जायेगा और इसी दिन दोपहर बाद से बाबा की स्पर्श पूजा शुरू हो जायेगी.

भक्तों ने कराया बाबा व मां पार्वती मंदिर के बीच गठबंधन

वहीं सोमवार को बाबा मंदिर आये अधिकतर कांवरियों को पूजा के बाद बाबा व मां पार्वती मंदिर के बीच गठबंधन कराते देखा गया. यहां गठबंधन की खास मान्यता है. गठबंधन कराने वाले भक्तों की बाबा सभी मनोकामना को पूर्ण करते हैं. मंदिर के ईस्टेट पुरोहित श्रीनाथ पंडित बताते हैं कि बाबा बैद्यनाथ का खास दिवस सोमवार है. इसके भी कई कारण हैं. सोमवार चंद्र दिवस है और चंद्रमा बाबा भोलेनाथ के मस्तक पर विराजमान है. इस दिन शिव और शक्ति की पूजा से भक्तों पर विशेष कृपा का योग बनता है. इस दिन गठबंधन करने वाले विवाहित जोड़ों को सुखी दांपत्य जीवन का कामना फलीभूत होती है. अंतिम सोमवारी को लेकर जिला प्रशासन रविवार की रात से ही अलर्ट रहा. मंदिर का पट खुलने के दौरान डीसी विशाल सागर सहित डीआइजी सुदर्शन मंडल व अन्य अधिकारी मंदिर में मौजूद रहे.

सुबह चार बजे से शुरू कराया गया जलार्पण, शाम में घटी कतार

बाबा मंदिर का पट खुलने के पूर्व कांवरियों की कतार बीएड कॉलेज तक पहुंच गयी थी. मंदिर का पट सुबह 03:05 बजे खुलते ही सबसे पहले मां काली के मंदिर में पुजारी अजय झा ने की. इसके बाद बाबा मंदिर में 20 मिनट तक कांचा जल पूजा की गयी. वहीं सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा ने बाबा बैद्यनाथ की सरदारी पूजा शुरू की. उन्होंने 30 मिनट में षाेड्शोपचार विधि से पूजा संपन्न की. इसके बाद कांवरियों को कतारबद्ध तरीके से पूजा कराने की परंपरा शुरू की गयी. दोपहर साढ़े तीन बजे तक कांवरियों को पंडित शिवराम झा चौक से प्रवेश कराने की परंपरा जारी रही. भीड़ कम होने के बाद कांवरियों को शाम के चार बजे से मानसरोवर ओवरब्रिज से जलार्पण के लिए पट बंद होने तक व्यवस्था को जारी रखा गया.

मलमास के कारण देर से आयेंगे त्योहार

इस साल सावन माह के बीच में ही पुरुषोत्तम मास (मलमास) का संयोग बना. इस कारण सावन मास दो भागों में बंट गया. यही नहीं मलमास के कारण इस वर्ष के पर्व-त्योहार भी देर से आयेंगे, जिस कारण त्योहार के तिथि में बीते वर्ष की अपेक्षा काफी दिनों का अंतर हो रहा है. जन्माष्टमी से लेकर दीपावली तक पड़ने वाले त्योहारों में 18 से 19 दिनों का अंतर हो रहा है. इस संबंध में ज्योतिष मुकुंद पुरोहितवार ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तीन तरह के साल बताये गये हैं, जो कि क्रमश: 11 महीना, 12 महीना व 13 महीना का होता है. 11 माह के साल को क्षय साल, 12 माह के साल को सामान्य वर्ष तथा 13 माह पड़ने वाले को अधिक वर्ष कहा गया है. इसी अधिक वर्ष में अधिक मास यानी मलमास लगता है, जो कि हर ढाई साल पर होता है. इसके कारण तिथि और ग्रहों पर भी खास असर पड़ता और पर्व-त्योहारों की तिथि और दिन में अंतर हो जाता है.

इस वर्ष त्योहारों की तिथियां कितनी बदली

पर्व — वर्ष 2022 — वर्ष 2023

रक्षा बंधन — 11 अगस्त — 31 अगस्त

जन्माष्टमी — 18 अगस्त — 6 सितंबर

गणेश चतुर्थी — 31 अगस्त — 19 सितंबर

पितृ पक्ष — 10 सितंबर — 30 सितंबर

नवरात्रि आरंभ — 26 सितंबर — 15 अक्तूबर

दशहरा — 5 अक्टूबर — 24 अक्टूबर

दीपावली — 24 अक्टूबर — 12 नवंबर

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