- 1962 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी से लड़े थे चुनाव
- 19,585 वोट से हारे थे चुनाव
- तब कार्यकर्ताओं को बांटी थी एक हजार साइकिल
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होटल किंग मोहन सिंह भी लड़े थे गोड्डा से चुनाव
1962 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी से लड़े थे चुनाव 19,585 वोट से हारे थे चुनाव तब कार्यकर्ताओं को बांटी थी एक हजार साइकिल संजीत मंडल, देवघर : गोड्डा लोकसभा सीट पर चुनाव शुरू से ही काफी दिलचस्प रहा है. इस सीट से देश के जाने माने होटल किंग मोहन सिंह अोबेरॉय भी चुनाव […]
संजीत मंडल, देवघर : गोड्डा लोकसभा सीट पर चुनाव शुरू से ही काफी दिलचस्प रहा है. इस सीट से देश के जाने माने होटल किंग मोहन सिंह अोबेरॉय भी चुनाव लड़ चुके हैं.
हालाकि वे रहनेवाले पंजाब के थे, लेकिन 1962 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन कांग्रेसी उम्मीदवार प्रभुदयाल हिम्मतसिंहका की टक्कर में जनता पार्टी ने उन्हें गोड्डा सीट से उम्मीदवार बनाया था.
लेकिन वे चुनाव जीत नहीं सके. इतनी बड़ी हस्ती, तामझाम के साथ चुनाव मैदान में कूदे, लेकिन अपनी नेम-फेन को जीत में नहीं बदल सके. 1962 के चुनाव में कांग्रेस के हिम्मतसिंहका को 78558 वोट मिले, जबकि जनता पार्टी के ओबेरॉय को 58973 वोट मिले. इस तरह कांटे की टक्कर में ओबेरॉय 19585 वोट से हार गये थे.
हारने के बाद थे मायूस
1962 के चुनाव का जब रिजल्ट आया और वे हार गये तब ओबेरॉय काफी मायूस दिखे. क्योंकि उस वक्त चुनाव लड़ने में जितना खर्च उन्होंने कर दिया था, जिस तरह तब के कार्यकर्ताओं को उन्होंने तरजीह दी थी, उस अनुरूप परिणाम नहीं आया.
जानकार बताते हैं कि चुनाव हारने के बाद वे उस सूची को निहार रहे थे, जिसमें तथाकथित वोट के ठेकेदारों ने उनसे कहा था कि मेरे पॉकेट में इतना वोट…मेरे पॉकेट में इतना वोट है.
किसी ने जब उनसे पूछा कि क्या देख रहे हैं तब उनके चेहरे पर कटु मुस्कान थी और गुस्सा भी था. उन्होंने कहा : उन ठेकेदारों की सूची देख रहा हूं, जिन्होंने कहा कि मेरे पॉकेट में इतना वोट है, मैंने इतना दिलवाया है… चुनाव हारने के बाद वे फिर गोड्डा नहीं आये.
1968 में हजारीबाग से लड़े और सांसद बने
बाद में मोहनसिंह ओबेरॉय 1968 में हजारीबाग लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते. 1968 अप्रैल से दिसंबर 1970 तक तकरीबन 32 महीने तक वे सांसद रहे. ओबेरॉय 1962 से 68 और 1972 से 1978 तक राज्यसभा से भी सांसद रहे.
जनसंपर्क के लिए एक हजार साइकिल बांटा था
1962 के समय साइकिल की बहुत अहमियत हुआ करती थी. जानकार बताते हैं कि जनता पार्टी से टिकट मिलने के बाद जब ओबेरॉय गोड्डा पहुंचे, तो वे अपने साथ पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए एक हजार साइकिल लेकर आये थे.
उन्होंने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को जनसंपर्क के लिए एक हजार साइकिल बांटा था. उस वक्त उन्होंने क्षेत्र के लोगों से कई वादे भी किये. लेकिन हारने के बाद वे काफी मायूस हुए. हालांकि हारने के बाद भी जिस इलाके के लिए जो वादा उन्होंने किया था, बाद में भिजवाया था.
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