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अधिवक्ताओं को झोपड़ी पसंद है
देवघर : देवघर कोर्ट में अधिवक्ताओं के बैठने के लिए जिला अधिवक्ता संघ भवन बनाया गया है. इसमें अधिवक्ताओं के लिए कुरसी-टेबुल भी लगाये गये हैं, जहां वे कामकाज निबटाते हैं. इनके अलावा काफी संख्या में ऐसे अधिवक्ता भी हैं, जो कोर्ट परिसर में झोपड़ी बना कर उसी में बैठते हैं और अपने क्लाइंट से […]
देवघर : देवघर कोर्ट में अधिवक्ताओं के बैठने के लिए जिला अधिवक्ता संघ भवन बनाया गया है. इसमें अधिवक्ताओं के लिए कुरसी-टेबुल भी लगाये गये हैं, जहां वे कामकाज निबटाते हैं. इनके अलावा काफी संख्या में ऐसे अधिवक्ता भी हैं, जो कोर्ट परिसर में झोपड़ी बना कर उसी में बैठते हैं और अपने क्लाइंट से मिलते हैं.
कोर्ट परिसर में कहीं आपको पुआल की छावनी मिल जायेगी, तो कहीं पॉलीथिन के छप्पर वाली झोपड़ी. कुछ अधिवक्ता तो अपनी झोपड़ी पर एस्बेस्टस लगा कर रखे हैं. वहीं कुछ अधिवक्ताओं ने अपनी झोपड़ी को फूलों से आकर्षक रूप से सजा कर रखे हैं. हरेक झोपड़ी में टेबुल से कुर्सी व बेंच लोहे की चेन से बंधे मिलेंगे.
इन काॅटेजों में सीनियर से लेकर अन्य अधिवक्ता आनंद से बैठते हैं व कामकाज निबटाते हैं. भीषण गरमी हो या कड़ाके की ठंड, पतझड़ हो या बरसात का मौसम, अधिकांश अधिवक्ता झोपड़ी नहीं छोड़ते हैं. जिला अधिवक्ता संघ भवन में अधिवक्ताओं को बैठने के लिए सुविधाएं रहने के बावजूद भी संघ भवन के सामने झोपड़ी बनाकर उसमें बैठते हैं.
अधिवक्ताओं के झोपड़ी में बैठने के हैं अपने-अपने तर्क
शोरगुल से मिलती है निजात
अधिवक्ता सज्जाद हैदर पॉलीथिन से बनी झोपड़ी में बैठते हैं. कहते हैं कि संघ भवन में शोरगुल होता रहता है जिसके कारण सही तरीके से फाइलों का काम नहीं हो पाता है. बाहर में बैठने का आनंद अलग है. यहां पर निश्चिंत होकर कामकाज करते हैं.
सेहत के लिए मिलती है स्वच्छ हवा
अधिवक्ता संजीव साह कहते हैं कि झोपड़ियों में स्वच्छ हवा व धूप मिलती है. यह सेहत के लिए भी ठीक है व कोर्ट से नजदीक रहने के चलते क्लाइंट को खोजने में कोई परेशानी नहीं होती है. काम निबटाने में कोई परेशानी नहीं होती है.
क्लाइंट से सहज हो जाती है भेंट
अधिवक्ता मो जैनुल कहते हैं कि कॉटेज तो पुरानी परंपरा है. यहां पर मुकदमा लड़ने वाले या किसी भी अन्य कार्य के लिए जो आते हैं, उनसे सहज भेंट हो जाती है. ज्यादातर केस लड़ने वाले गरीब होते हैं जो झोपड़ियों में बैठने वाले अधिवक्ताओं से काम कराते हैं.
तनावमुक्त हो करते हैं फाइलों का काम
अधिवक्ता चंद्रशेखर प्रसाद सिंह कहते हैं झोपड़ी में सदैव तनावमुक्त होकर काम करते हैं. पर्याप्त जगह रहने से क्लाइंट को भी बैठते हैं व उनकी बातों को अच्छी तरह सुनते हैं. इससे मुकदमों में बहस आदि में बहुत ही फायदा होता है. संघ भवन में लाइन कटने के बाद कभी-कभी अंधेरा छा जाता है जिससे कठिनाई होती है.
आत्मीय शांति मिलती है कॉटेज में
अधिवक्ता सुभाष चंद्र राय कहते हैं कि झोपड़ी को तो हमलोग कुटिया की संज्ञा दिये हुए हैं. इसमें काम करने से आत्मीय शांति मिलती है. ऋग्वेद काल में भी ऋषि-मुनी कुटिया बनाकर साधना करते थे. अधिवक्ता भी आज के युग के मनीषी हैं, ऋषि तुल्य हैं जो फांसी के फंदे से भी बचा लेते हैं. आत्मीय शांति के लिए के लिए कॉटेज में बैठते हैं.
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