नगर पर्षद अध्यक्ष का पद एसटी के लिए आरक्षित होने पर कहीं खुशी कहीं गम
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एसटी दावेदारों ने जतायी खुशी, अन्य हुए मायूस
नगर पर्षद अध्यक्ष का पद एसटी के लिए आरक्षित होने पर कहीं खुशी कहीं गम मधुपुर : नगर पर्षद अध्यक्ष का पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिया गया है. हालांकि इनकी आबादी को देखते हुए इसकी संभावना बहुत कम थी. गजट प्रकाशित होने के बाद अब अनुसूचित जनजाति के संभावित प्रत्याशी विभिन्न राजनीतिक […]
मधुपुर : नगर पर्षद अध्यक्ष का पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिया गया है. हालांकि इनकी आबादी को देखते हुए इसकी संभावना बहुत कम थी. गजट प्रकाशित होने के बाद अब अनुसूचित जनजाति के संभावित प्रत्याशी विभिन्न राजनीतिक दलों से टिकट के लिए संपर्क में जुट गये हैं. एक-एक संभावित प्रत्याशी कई दलों से संपर्क स्थापित कर रहा है. झामुमो छोड़ कर एक अन्य दलों के पास अब तक जाना-पहचाना सशक्त प्रत्याशी नजर नहीं आ रहा है.
नगर पर्षद क्षेत्र में कुल वार्ड 23 है. क्षेत्र की आबादी 55238 है. इनमें अनुसूचित जनजाति की आबादी मात्र दो हजार 170 ही है. इनमें पुरुष की संख्या 1091 है. वहीं महिला की आबादी 1079 है. जबकि नगर पर्षद क्षेत्र में कुल मतदाता 37 हजार 37 हैं. इनमें अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या तकरीबन 1350 है.
दो ही वार्ड के पथलचपटी व बडबाद में इनकी आबादी की बहुलता है.
कहते हैं संभावित दावेदार
निर्वाचन आयोग का निर्णय सही है. पहली बार आदिवासियों को अधिकार मिला है. इससे आदिवासियों का सम्मान बढ़ेगा और अलग पहचान बनेगी.
– निताई सोरेन, वार्ड पार्षद, वार्ड 22
आदिवासी समाज का मान-सम्मान बढ़ाने का काम निर्वाचन आयोग ने किया है. दबे-कुचले लोगों का सम्मान बढ़ेगा. निर्णय स्वागत योग्य है. टिकट मिला तो वह जरूर लडेंगी.
– लतिका मुर्मू
निर्वाचन आयोग के निर्णय से आदिवासी समाज में हर्ष का माहौल है. निर्णय काफी अच्छा है. आदिवासियों का मान बढ़ेगा और समाज का विकास होगा.
– सुनील सोरेन
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