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देवघर : कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने 2.08 करोड़ की लागत से सड़क निर्माण का शिलान्यास किया

कृषि मंत्री ने प्रखंड क्षेत्र के खिजुरिया गांव में 19 लाख की लागत से बनने वाली पीसीसी सड़क के लिए भी शिलान्यास किया. मौके पर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा की इस वर्ष राज्य सरकार जरूरतमंद परिवार को अबुआ आवास देगी.

सोनारायठाढ़ी : कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने अपने विधानसभा क्षेत्र जरमुंडी के दोंदिया पंचायत में बेहराटांड से सनडुब्बी गांव जाने वाली जर्जर सड़क के निर्माण को लेकर मंगलवार को शिलान्यास किया. सड़क का निर्माण 1.89 करोड़ की लागत से होगा. वहीं कृषि मंत्री ने प्रखंड क्षेत्र के खिजुरिया गांव में 19 लाख की लागत से बनने वाली पीसीसी सड़क के लिए भी शिलान्यास किया. मौके पर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा की इस वर्ष राज्य सरकार जरूरतमंद परिवार को अबुआ आवास देगी. सरकार की ओर से 15 नवंबर से लगने वाले सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के शिविर में आवेदन देकर ग्रामीण इस आवासीय योजना का लाभ पा सकते हैं. मौके पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष उदय प्रकाश, मीडिया प्रभारी दिनेश मंडल, जिप सदस्य राजीव कुमार, 20सूत्री अध्यक्ष नजाबुल अंसारी, 20सूत्री सदस्य कृष्णा पासवान, विभाग के कनीय अभियंता संतोष कुमार, भुवन रंजन, संवेदक प्रमोद कुमार, तुलसी यादव, मुखिया जयकांत यादव, झालू राउत, जब्बार अंसारी, दीपक कुमार, सोनालाल यादव, मुकेश यादव, पप्पू यादव, मकसूद अंसारी थे.


बंदाजोरी के नलिनी हाइस्कूल की बनेगी चहारदीवारी

कृषि मंत्री ने बंदाजोरी नलिनी पत्रिका उच्च विद्यालय में डीएमएफटी योजना से 49 लाख की लागत से बननी वाली चहारदीवारी निर्माण कार्य को लेकर भी शिलान्यास किया. इस अवसर पर स्कूल के प्रधानाध्यापक अजीत कुमार, सेवानिवृत्त शिक्षक शंभू बरनवाल, पूर्व मुखिया सरोज पासवान व अन्य थे.

संस्थाएं कार्य योजना बनाकर दूर करें लोगों की समस्याएं : बादल पत्रलेख

नीड्स संस्था ने अपनी 25वीं वर्षगांठ समारोहपूर्वक मनायी. कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने किया. उन्होंने कहा कि नीड्स पिछले 25 वर्षों से ग्रास रूट पर कार्य करती आ रही है. दूसरी संस्थाओं को भी एक कार्ययोजना बनाकर जनता की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए. आने वाले दिनों में सभी समस्याओं को राज्य सरकार दूर करेगी. संस्था ने एक कृषि नीति तैयार की है. सरकार अपनी कृषि नीति में इसे शामिल करें. पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में एक-दो गांव को गोद लेकर उसका फलाफल देख लें. उसके बाद उसे लागू करने के बारे में सोचें. किसान के खेत में उर्वरक जो उपयोग में आये, वह उनके गांव में ही तैयार हो. उत्पाद को बाजार देने के लिए एफपीओ को सशक्त बनाने की ठोस पहल करनी होगी. पशुधन देने से नहीं होगा, उसका पूरा प्लान तैयार करना होगा. जल संरक्षण पर ठोस प्लान तैयार करने से पहले संस्था के सुझाये गये प्रस्ताव पर सरकार की ओर से अध्ययन होना चाहिए. यह सारे बदलाव जब होंगे, तो आने वाला कल बेहतर होगा. नीड्स संताल परगना के साथ-साथ खूंटी, चाईबासा, गिरिडीह समेत कई जिला में अपना काम किसानों के साथ कर रही है.

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