: नववर्ष पर भद्रकाली मंदिर में पूजा के लिए उमड़ती है भीड़ : बक्सा डैम व हदहदवा रॉक की सुंदरता देखती ही बनती है विजय शर्मा. इटखोरी. पूस माह शुरू होते ही इटखोरी के पिकनिक स्थलों पर सैलानियों का आना शुरू हो गया है. लोग अपने दोस्तों व परिवार के सदस्यों के साथ पिकनिक का लुत्फ उठाने आने लगे हैं. इटखोरी में कई पिकनिक स्थल हैं, जो जंगलों व पहाड़ों से घिरे हुए हैं. दिसंबर माह से ही यहां सैलानियों का आना-जाना शुरू हो जाता है. यहां धार्मिक पर्यटन स्थल के साथ-साथ रॉक फॉल व जलाशय है. सबसे प्राचीन व विख्यात पर्यटन स्थल मां भद्रकाली मंदिर है. इसकी ख्याति विदेशों तक फैली हुई है. नव वर्ष पर मंदिर में पर्यटकों की काफी भीड़ रहती है. लोग मां भद्रकाली का दर्शन कर नये साल की शुरुआत करते हैं. उसके बाद पिकनिक मनाते हैं. मंदिर परिसर के अगल-बगल बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाते हैं. यह मंदिर कोडरमा रेलवे स्टेशन से 60 किमी, हजारीबाग से 50 किमी, रांची से 150 किमी व चतरा से 36 किमी दूर है. यह इटखोरी बाजार से मात्र दो किमी दूर पर स्थित है. मां भद्रकाली मंदिर में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन नये साल पर हजारों पर्यटक यहां पूजा-अर्चना करने आते हैं. बक्सा डैम यह इटखोरी मुख्यालय से चार किमी दूर है .यहां पूस माह शुरू होते ही पिकनिक मनाने वालों का आगमन होने लगता है. लोग हेचरी मछली पालन के बोट (नाव) का आनंद लेते हैं. डैम में लंबी दूरी तक पानी भरा होने के कारण लोगों को समुद्र का नजारा दिखता है. यहां स्थानीय लोग काफी संख्या में पिकनिक मनाने आते हैं. किसी तरह का कोई खतरा नहीं रहता है. लोग खुशी-खुशी अपने परिवार के साथ पिकनिक मनाने यहां आते हैं. हदहदवा रॉक पिकनिक मनाने की योजना जब बनती है, तो लोगों के जेहन में सबसे पहले हदहदवा रॉक फॉल का नाम आता है. यह इटखोरी मुख्यालय से पांच किमी दूर है. प्रकृति ने बहुत ही फुर्सत के क्षण में इसे स्थापित किया है. चारों तरफ हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है. चट्टानों के बीच से मोहाने नदी का कलकल बहता पानी इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा दिया है. यहां जब मन हो, तब लोग पिकनिक मनाने पहुंच जाते हैं. नववर्ष के मौके पर यहां काफी भीड़ रहती है. लोग हसीन वादियों का जमकर लुत्फ उठाते हैं.
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