Naxal Encounter: चतरा-पलामू की सीमा पर स्थित कुंदा थाना क्षेत्र के कुटील के पचफेरा जंगल में सोमवार सुबह सुरक्षा बलों व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गयी. सुबह 8 बजे से 10 बजे के बीच हुई मुठभेड़ में रुक-रुककर फायरिंग होती रही. मुठभेड़ के बाद सर्च ऑपरेशन चलाया गया. सर्च ऑपरेशन के दौरान 6 स्लीपिंग बैग, 10 तिरपाल, भारी मात्रा में दवाईयां व इंजेक्शन, पिट्ठू बैग, रेडियो व दैनिक उपयोग के सामान बरामद हुए.
जंगल में जमा हुए थे 20-25 नक्सली
चतरा जिले के एसपी राकेश रंजन ने बताया कि सूचना मिली थी कि प्रतिबंधित भाकपा माओवादी संगठन के सैक सदस्य गौतम पासवान, रिजनल कमांडर नवीन यादव व जोनल कमांडर मनोहर गंझू (10 लाख के इनामी नक्सली) किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए कुंदा व लावालौंग के जंगली क्षेत्र में 20 से 25 नक्सली एकत्रित हुए हैं. सूचना पर एक टीम का गठन किया गया.
चतरा जिला पुलिस, CRPF और कोबरा के जवानों ने चलाया ऑपरेशन
एसपी ने बताया कि टीम में चतरा पुलिस, कोबरा 203, सीआरपीएफ 190/22 के जवान और अधिकारी शामिल थे. अभियान दल जैसे ही मरगडाहा जंगल पहुंचे, पुलिस को अपनी ओर आते देख नक्सली पुलिस पर फायरिंग करने लगे. पुलिस बल ने भी जवाबी कार्रवाई की. सुरक्षा बलों को भारी पड़ता देख भाकपा माओवादी जंगलों में भाग गये.
माओवादियों से बोले एसपी- ‘नयी दिशा’ का लाभ उठायें, सरेंडर करें
इसके बाद सुरक्षा बलों ने जंगल में मौजूद माओवादी कैंप को ध्वस्त कर दिया. कैंप से कई सामान बरामद किये गये हैं. एसपी ने नक्सलियों से कहा है कि वे जल्द से जल्द सरेंडर कर दें. सरेंडर नहीं किया, तो पुलिस उन्हें अपनी गोली का शिकार बनायेगी. बेहतर है कि वे आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति ‘नयी दिशा’ का लाभ उठायें और बेहतर शहरी की जिंदगी जीना शुरू करें.
नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में शामिल थे ये लोग
टीम में 203 कोबरा बटालियन के सहायक समादेष्टा संतोष कुमार, शिरल निखिल, सीआरपीएफ 190 बटालियन के सहायक समादेष्टा चौधरी कलीमउल्लाह, 22 बटालियन के दुर्गेश कुमार, लावालौंग थाना के एसआई रोहित साव, प्रतापपुर के नितायचंद्र साहा व सिमरिया के शशिकांत साहू शामिल थे.
मुठभेड़ के बाद इलाके के लोगों में दहशत
पुलिस व नक्सलियों द्वारा की गयी गोलीबारी से क्षेत्र के लोग दहशत में हैं. गोली चलने की आवाज सुनकर कुंदा थाना कुटील, जोबिया, एकता, गारो, दुर्गी गांव के लोग घरों में दुबक गये. गोली चलने तक घरों में ही दुबके रहे. डर से कुंदा में लगने वाले साप्ताहिक हाट में भी लोग नहीं पहुंचे.