चतरा. चतरा जिले में इन दिनों अवैध बालू उठाव और तस्करी का सिलसिला तेज़ी से चल रहा है. नदियों से दिन-रात बालू की ढुलाई की जा रही है, जिससे एक ओर नदियों का अस्तित्व खतरे में है, वहीं दूसरी ओर सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. प्रशासनिक स्तर पर नियमित कार्रवाई नहीं होने से बालू माफियाओं का मनोबल बढ़ा हुआ है. जिला मुख्यालय में आम लोगों को 3000 से 3500 रुपये प्रति ट्रैक्टर बालू खरीदनी पड़ रही है. इससे प्रधानमंत्री आवास योजना, अबुआ आवास और निजी घर निर्माण करने वाले लोगों को भारी परेशानी हो रही है. कई सरकारी निर्माण कार्यों में भी अवैध बालू का उपयोग हो रहा है. कई स्थानों पर अवैध बालू का भंडारण कर सड़क और अन्य निर्माण कार्य किये जा रहे हैं.
गिद्धौर प्रखंड के बलबल नदी से सबसे अधिक बालू की तस्करी हो रही है. यहां से बालू उठाकर हजारीबाग और बिहार भेजा जा रहा है. मयूरहंड प्रखंड के बड़ाकर नदी के ढेबादरी, सोकी, नवडीहा, महुगांई और पेटादरी घाट से भी बालू का उठाव कर अन्य जिलों में भेजा जा रहा है. तस्कर रात-दिन इस कारोबार में लगे हुए हैं और मालामाल हो रहे हैं.
टास्क फोर्स नियमित कार्रवाई नहीं करता
सूत्रों के अनुसार, पुलिस की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है. जिले में हंटरगंज प्रखंड के केवल तीन घाट ही वैध हैं, बाकी सभी घाटों से अवैध रूप से बालू उठाया जा रहा है.
जिन नदियों से बालू उठाव हो रहा है उनमें निरंजना, बलबल, तरी, घटेरी, बड़की, सिंदुवारी, मारंगी, खलारी, भुईयांडीह, लोहसिंघना, मुरैनवा, बकुलिया, नोनगांव, खधैया, बंदा, गेहड़ी, दारीदाग और गायघाट शामिल हैं. इन नदियों की लूट से पर्यावरणीय संकट गहराता जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

