चतरा. माता-पिता अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए निजी विद्यालय भेजते हैं ताकि वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें. लेकिन निजी विद्यालयों की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं. नया सत्र के शुरू होते ही अभिभावकों की चिंता बढ़ गयी है. स्कूल प्रबंधन द्वारा बुक लिस्ट थमाकर अभिभावकों को एक निश्चित पुस्तक दुकान से किताबें खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है. इन दुकानों पर महंगी किताबें उपलब्ध करायी जा रही हैं, जिससे कमीशन का खेल स्पष्ट नजर आ रहा है. इसका खामियाजा गरीब अभिभावकों को उठाना पड़ रहा है. कई अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है. निजी स्कूल प्रबंधन किताबों के साथ-साथ नोटबुक और स्टेशनरी भी एक ही दुकान से खरीदने की अनिवार्यता थोप रहे हैं. शहर की कुछ दुकानें सुबह से शाम तक भीड़ से भरी रहती हैं. अभिभावकों ने उपायुक्त रमेश घोलप से निजी विद्यालयों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग की है.
तीन से सात हजार तक की किताबें
निजी विद्यालयों की किताबें बहुत महंगी हैं. एक बच्चे की किताबें तीन से सात हजार रुपये तक की होती हैं. कक्षा तीन की किताबों का खर्च 3500 रुपये से अधिक है. सभी किताबें एमआरपी पर बेची जा रही हैं. महंगी किताबों से अभिभावकों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है.बार-बार बदली जाती हैं किताबें
निजी विद्यालयों में हर एक-दो साल में किताबें बदल दी जाती हैं, जिससे पुरानी किताबें बेकार हो जाती हैं. कुछ अध्यायों में मामूली बदलाव करके नयी किताबें अनिवार्य कर दी जाती हैं. पुराने समय में एक ही किताबें कई सालों तक चलती थीं, जिससे गरीब छात्र कम कीमत पर पुरानी किताबें खरीदकर पढ़ाई कर पाते थे. अब कमीशन के चलते किताबों में हर साल बदलाव कराया जा रहे हैं.डीएसइ बोले
जिला शिक्षा अधीक्षक रामजी कुमार ने कहा कि मनमानी करने वाले निजी विद्यालयों को चिन्हित कर उनकी गतिविधियों पर रोक लगायी जायेगी. सरकारी निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जायेगा, जिससे अभिभावकों को परेशानी न हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है