आनंदपुर. आनंदपुर प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव उंडुदा में स्थित उत्क्रमित प्लस टू उच्च विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की कहानी एक शिक्षक की लगन और समर्पण से जुड़ी है. विद्यालय में पठन-पाठन, छात्र उपस्थिति, अनुशासन और नामांकन में जो सुधार आया है, उसका श्रेय प्रभारी प्रधानाध्यापक बालगोविंद नायक को जाता है.
2017 में मवि उंडुदा को अपग्रेड कर प्लस टू का दर्जा मिला
वर्ष 2017 में मध्य विद्यालय उंडुदा को अपग्रेड कर प्लस टू विद्यालय का दर्जा दिया गया था, लेकिन शिक्षक की भारी कमी और संसाधनों के अभाव में उच्च कक्षाओं का संचालन ठप था. अगस्त 2019 में बालगोविंद नायक ने एकमात्र हाइस्कूल शिक्षक के रूप में पदभार संभाला और विद्यालय के प्रभारी बनाए गए.शिक्षा के लिए जनभागीदारी को बनाया हथियार
श्री नायक ने सबसे पहले पंचायत जनप्रतिनिधियों, विद्यालय प्रबंधन समिति और अभिभावकों की बैठक बुलाकर शिक्षा की आवश्यकता और बच्चों की नियमित उपस्थिति को लेकर चर्चा की. उनके आग्रह और जनजागरुकता से छात्रों की उपस्थिति और नामांकन में निरंतर वृद्धि हुई.स्थानीय सहयोग से शुरू हुई प्लस टू की पढ़ाई
शिक्षक की कमी के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. विद्यालय प्रबंधन समिति सदस्यों के सहयोग से कुछ स्थानीय शिक्षित युवाओं को पढ़ाने के लिए विद्यालय से जोड़ा गया. इसके साथ ही अन्य सहयोगी शिक्षकों की मदद से शैक्षणिक गतिविधियों को सुचारू रूप से आगे बढ़ाया गया. वर्ष 2024 में विद्यालय में औपचारिक रूप से प्लस टू कक्षाओं की पढ़ाई शुरू कर दी गयी. वर्तमान में विद्यालय में 327 छात्र अध्ययनरत हैं, जिसमें कक्षा 1 से 8 तक के लिए एक सहायक और एक औपचारिक शिक्षक, हाइस्कूल के लिए 3 तथा प्लस टू के लिए 6 शिक्षक पदस्थापित हैं.एक शिक्षक ने दिखाया रास्ता
बालगोविंद नायक का यह प्रयास इस बात का उदाहरण है कि अगर इच्छा शक्ति और समर्पण हो, तो सीमित संसाधनों में भी शिक्षा की अलख जगायी जा सकती है. सुदूर उंडुदा जैसे गांव में एक शिक्षक की पहल से न केवल विद्यालय में रौनक लौटी, बल्कि सैकड़ों बच्चों को भविष्य की नयी राह भी मिली.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

