चाईबासा.
पश्चिमी सिंहभूम जिले के झींकपानी प्रखंड अंतर्गत घने जंगलों के समीप बसे नवागांव में पिछले 20 घंटों से 10 जंगली हाथियों के एक झुंड ने उत्पात मचा रखा है. रविवार को यह झुंड जंगल से निकलकर गांव के पास पहुंचा और तब से एक नजदीकी जंगल में डेरा डाले हुए है. इससे न केवल खेतों की फसलें और सब्जी बागान खतरे में पड़ गये हैं, बल्कि ग्रामीण भी संभावित अनहोनी को लेकर भयभीत हैं.40 ग्रामीणों ने हाथियों को खदेड़ना शुरू किया
रविवार रात से ही ग्रामीण बड़ी टॉर्च और पटाखों के सहारे मचान बनाकर खेतों की निगरानी कर रहे हैं. सोमवार सुबह करीब 40 ग्रामीणों की एक टीम ट्रैक्टर से हाथियों के ठिकाने तक पहुंची और उन्हें गांव से दूर खदेड़ने की कोशिश शुरू की. ग्रामीणों की सतर्कता से अब तक बड़ा नुकसान तो टला है, लेकिन कुछ खेतों में धान की फसल को हाथियों ने नुकसान पहुंचाया है. ग्रामीणों ने बताया कि फिलहाल हाथियों को पास के एक छोटे जंगल में सीमित कर दिया गया है, लेकिन उन्हें वहां से भगाना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. अभी तक वन विभाग की कोई सहायता नहीं मिलने से ग्रामीण खुद ही निगरानी में जुटे हैं.हाथियों की बदली आदतों से किसान परेशान
गांव के किसानों का कहना है कि पहले हाथी सिर्फ पकी हुई धान की बालियां खाते थे, लेकिन अब वे अधपकी या बालियों से रहित धान की फसल को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. यह स्थिति किसानों के लिए चिंता का विषय बन गयी है, क्योंकि ऐसी फसलों पर बीमा का दावा मान्य नहीं होता है. इससे उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.
वन विभाग की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
ग्रामीणों ने वन विभाग की निष्क्रियता पर नाराजगी जताते हुए मांग की है कि हाथियों की इस बदलती आदत और उनकी लगातार बढ़ती मौजूदगी को गंभीरता से लिया जाए. उन्होंने कहा कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो जान-माल के नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

