चाईबासा. आदिवासी सेंगेल अभियान ने चरण चातार के नेतृत्व में गुरुवार को उपायुक्त से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा. आदिवासी स्वशासन के नाम पर माझी-परगना व्यवस्था में जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार की मांग की. बताया कि आदिवासी समाज में प्रचलित स्वशासन व्यवस्था, खासकर संताल समाज में चालू व्यवस्था स्वशासन की जगह स्वशोषण का प्रतीक बन चुकी है. अब गुंडागर्दी और मनमानी तानाशाही रूप ले चुकी है. माझी-परगना व्यवस्था संविधान और जनतंत्र विरोधी है. यह व्यवस्था वंशवादी है. अधिकतर माझी-परगना के अगुआ अशिक्षित हैं. देश-दुनिया से बेखबर हैं. गांव के सभी लोगों द्वारा नहीं चुने जाते हैं. गांव में उपलब्ध पढ़े-लिखे लोगों, महिलाओं को शामिल होने का अवसर नहीं होता है. उनके द्वारा सामाजिक बहिष्कार की धमकी के कारण लोग गुलामी का जीवन जीने को मजबूर हैं. विकास और सबकी बराबरी के लिए माझी-परगना व्यवस्था का लोकतांत्रिक पद्धति में लाना जरूरी है. पत्र में बताया कि माझी-परगना व्यवस्था के अगुआ संविधान, कानून और मानव अधिकार नहीं मानते हैं. इस व्यवस्था के वाहक अंधविश्वास, नशापन, जुर्माना, सामाजिक बहिष्कार, डायन प्रथा, वोट खरीद-बिक्री, महिला विरोधी मानसिकता, ईर्ष्या-द्वेष आदि को खत्म करने के बजाय प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इसको बढ़ावा देते हैं. इस मौके पर सेंगेल अभियान के महिला मोर्चा की अध्यक्ष प्रेम शिला मुर्मू, केंद्रीय अध्यक्ष अविराज मुर्मू, सुबेदार बिरुवा, महती पुरती, विमो मुर्मू शामिल थे.
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