चाईबासा.
नोवामुंडी के पदापहाड़ में रेल प्रबंधन द्वारा थर्ड लाइन के लिए रैयतों की जमीन का अधिग्रहण करने के विरोध में ग्रामीणों ने बुधवार को चाईबासा के पुराना उपायुक्त कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा ने कहा कि पदापहाड़ ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां न अब तक फ्लेटफॉर्म है न अन्य सुविधाएं, जबकि इस स्टेशन से लाखों टन लौह अयस्क निर्यात किया जाता है. बगल में नोवामुंडी है जहां टाटा स्टील की माइंस पूरे देश को लोहा देती है. आज पदापहाड़ के ग्रामीण रैयतों को अपनी बहुफसली जमीन बचाने के लिए सड़क पर उतरना पड़ रहा है. अधिगृहित किए जाने वाले स्थानों पर आदिवासियों की पारंपरिक, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक शासनदीरी श्मशान भी स्थित है. जिसके साथ छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता. यह आदिवासी हो समाज के लिए गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है.एक प्लॉट के लिए एक व्यक्ति को नौकरी का प्रावधान करें :
अशोक पान ने कहा कि रेल विशेष परियोजना मेसर्स टाटा स्टील लिमिटेड, नोवामुंडी की पदापहाड़ डाउन लाइन रेल द्वारा बाद के जमीन अधिग्रहण के पूर्व एक डिसमिल भूमि पर पांच लाख रुपए की मुआवजा राशि तय करे तथा एक प्लॉट के लिए एक व्यक्ति को नौकरी का प्रावधान करे.विकास के नाम पर हो रहा है विस्थापन:
ईचा खरकई बांध विरोधी संघ के अध्यक्ष बीरसिंह बिरुली ने कहा कि पूरे झारखंड में विकास के नाम पर आदिवासियों का अनैच्छिक विस्थापन किया जा रहा है. आने वाले दिनों में हम सभी को एकजुट होकर उलगुलान करने की आवश्यकता है. भारत आदिवासी पार्टी के कोल्हान प्रभारी सुशील बारला ने कहा कि ग्राम सभा को मजबूत करेंगे तभी हम पूंजीपतियों से लड़ाई जीत पायेंगे. धरना के बाद प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंप कर मामला से अवगत कराया. इस मौके पर रेयांस सामड, कांडे बालमुचू, प्रीति कुटिया, रजनी कुटिया, सुशीला पूरती, आनंद बालमुचू, साहू बालमुचू, संध्या पूरती, बसंती बालमुचू, अमृत मांझी रमेश जेराई, उमाकांत आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है