चाईबासा.
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय में अस्थायी शिक्षकों की नियुक्ति परीक्षा से स्थानीय को वंचित युवाओं ने सोमवार को उपायुक्त कार्यालय पहुंचकर धरना दिया. इस दौरान कई अभ्यर्थी उपायुक्त से मिलने पहुंचे. उन्होंने कहा कि उपायुक्त से बातचीत के बाद भी ठोस समाधान नहीं निकल पाया है. उनका कहना है कि यह वैकेंसी जिला स्तर की है. इसमें छत्तीसगढ़, ओडिशा व बिहार के उम्मीदवारों को जगह दी गयी है. स्थानीयता को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है. इस संबंध में उपायुक्त को 47 अभ्यर्थियों के हस्ताक्षरित ज्ञापन सौंपा गया. इसके साथ झारखंड के मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया है.प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी का आरोप
अभ्यर्थियों ने कहा कि सूची में प्रखंड के नाम का जिक्र नहीं है. उम्मीदवारों को पता नहीं चल रहा है कि किन प्रखंड से हैं. उम्र को नजर अंदाज कर प्रतिशत को प्राथमिकता दी गयी है. आवेदन आमंत्रित सूचना में इसका जिक्र नहीं है. पीजी/बीएड/सीटेट/जेटेट कॉलम को एक ही में संयुक्त किया गया है, जबकि ऐसा करने से पुराने उम्मीदवार पूरी तरह से छांटा गया है. अनुभव का स्कोर कॉलम नहीं जोड़ा गया है. आवेदन में अनुभव मांगा गया था. इएमआरएस स्कूल बनाने के लिए स्थानीय लोगों ने जमीन दान किया है. बदले में ना नौकरी में आरक्षण मिल रहा है, ना विद्यार्थी नामांकन में आरक्षण दिया जा रहा है. आदिवासी बहुल क्षेत्र में एसटी उम्मीदवारों की सूची में सबसे कम नाम होना आश्चर्यजनक है. इएमआरएस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या अधिकतर हो/संताली भाषा बोलने वाले हैं. इस दृष्टि से स्थानीय भाषा को भी ध्यान में रखकर सूची तैयार करना चाहिए. अगर प्रतिशत को देखकर सूची बनाया गया है, तो ज्ञान को एक बार देखा जाये. पहले की प्रतिशत और अभी का प्रतिशत में ज्ञान की दृष्टि से काफी ज्यादा अंतर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

