चाईबासा. भाकपा माओवादी संगठन का जोनल कमेटी सदस्य व 10 लाख का ईनामी चंद्रमोहन उर्फ अमित हांसदा उर्फ अपटन दर्जनों नक्सली घटनाओं को अंजाम देने में शामिल रहा था. उसने 14 जून 2019 को सरायकेला- खरसावां जिले के ईचागढ़ थाना के कुकड़ू साप्ताहिक हाट में घात लगाकर पांच पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी और उनके हथियार छीन लिये थे. 04 जनवरी वर्ष 2022 को गोइलकेरा के झीलरुवां गांव में फुटबाॅल मैच के दौरान पूर्व विधायक गुरुचरण नायक पर हमला करने व हथियार लूटकांड में भी वह शामिल था. फुटबॉल मैच की सूचना बिरसा एवं शाका ने अपटन, अश्विन व सुशांत को दी थी. माओवादी मिसिर बेसरा उर्फ सागर दा के कहने पर अपटन , पिंटू व समीर ने घटना के पूर्व दो बार रेकी की थी. उस घटना को अंजाम देने के पूर्व दो बार लोवाबेड़ा में रिहर्सल किया गया था. इस एक्शन टीम का कमांडर अपटन एवं समीर को बनाया गया था. घटना को अंजाम देने के लिए तीन ग्रुप बनाया गया था. घटना के बाद एक्शन टीम के कमांडर अपटन व समीर द्वारा घटना की विस्तृत जानकारी सागर दा, सुशांत, चमन, सिलाय, मोछू को दी गयी. घटना में अपटन ने दो जवानों की हत्या कर उनके तीन हथियार एक एके- 47 व दो इंसास राइफल छीन लिये थे, जिसमें विधायक ( गुरुचरण नायक) सहित उनके एक चालक एवं एक अंगरक्षक जान बचाकर भागने में सफल रहे. उक्त लूटे गये एक इंसास राइफल की बरामदगी पुलिस कर चुकी है. वहीं जनवरी 2023 में तुंबाहाका गांव निवासी प्रताप हेंब्रम की हत्या अपटन के साथ जयकांत, समीर, रापा, सागेन, अनमोल, मोछू, संतोश उर्फ जगबंधू, अजय महतो, रवि, लालू, सोहन एवं 10-15 अन्य माओवादी द्वारा की गयी थी.
नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना रहा है कोल्हान और सारंडा जंगल
कोल्हान व सारंडा वन क्षेत्र कई इनामी माओवादियों का ठिकाना रहा है. इनमें से 19 सुप्रीम कमांडर शामिल हैं, जो गोइलकेरा थाना के विभिन्न कांडों में शामिल रहे हैं. इस वन क्षेत्र को ठिकाना बनाने वाले माओवादियों में अमित मुंडा, चमन, अजय महतो, अनल दा, अनमोल दा, सोनाराम होनहागा, सालूका कायम, विवेक उर्फ प्रयाग, अनीता होनहागा, पिंटू लोहार, मिसिर बेसरा, मेहनत उर्फ मोछू आदि हैं. ये गोइलकेरा थाना में वर्ष 2019 से 23 तक कई कांडों में नामजद हैं. कोल्हान के पोड़ाहाट जंगल में ऑपरेशन चलाकर माओवादमुक्त तो दिया गया, लेकिन पिछले पांच वर्षों में कोल्हान व सारंडा के जंगल इनका सुरक्षित ठिकाना रहे हैंकोल्हान वन क्षेत्र में अब भी सुगम सड़क नहीं
कोल्हान वन क्षेत्र में अब भी प्रखंड मुख्यालय से जुड़ने के लिए एक अदद सड़क तक नहीं है. एक बड़ी आबादी मुख्यालय आने के लिए संघर्ष कर रही है. सड़क मार्ग नहीं होने से माओवादियों का खास ठिकाना बन गया. बड़े-बड़े पहाड़ व कारो नदी के पड़ने से यह क्षेत्र सुरक्षा बल के लिए चुनौती पेश करता है. पुलिस माओवादी के बीच आंख मिचौली का खेल चलता है. दुर्गम मार्ग होने के कारण पुलिस घुसती है तो माओवादी नदी पारकर सारंडा में घुस जाते हैं. सारंडा की ओर ऑपरेशन चलता है, तो माओवादी कोल्हान के रेला पराल की ओर आ जाते हैं.कोल्हान वन क्षेत्र के गांव अभी भी उपेक्षित :
कोल्हान दरअसल वन क्षेत्र का क्षेत्रफल करीब 80 से 100 किलोमीटर के दायरे में है. कोल्हान के जंगल अब भी विकास की राह देख रहे हैं. इन जंगल में रहने वाले मूल पंचायत आराहसा, गम्हरिया आते हैं. इसके अंतर्गत कई राजस्व ग्राम हैं जिनमें करा, खजुरिया, रेला, पराल, पाटुंग, संगाजटा, बोरोई, कुरकुटिया आदि आते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

