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chaibasa news: 237 बच्चों को मिला स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ, 101 नये बच्चों को किया गया शामिल

बच्चों के सर्वांगीण विकास को लेकर हुई समीक्षा बैठक, बाल तस्करी और पोक्सो मामलों पर मंथन

चाईबासा. समाहरणालय सभागार में सोमवार को जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त चंदन कुमार की अध्यक्षता में एकीकृत बाल संरक्षण योजना बाल कल्याण-बाल सुधार गृह, बाल तस्करी, पोक्सो व बाल मजदूर आदि से संबंधित समीक्षात्मक बैठक की गयी. बैठक में सहायक समाहर्ता सिद्धांत कुमार, जिला श्रम अधीक्षक अविनाश ठाकुर, सहायक निदेशक-सामाजिक सुरक्षा कोषांग खुशेंद्र सोन केसरी, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पुनीता तिवारी सहित अन्य उपस्थित थे. बैठक में मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत संचालित स्पॉन्सरशिप, फोस्टर केयर (पालन-पोषण देखभाल योजना) व बाल देखरेख संस्थानों से संबंधित प्रगति प्रतिवेदन का जायजा लिया गया. साथ ही संबंधित पदाधिकारियों को बच्चों के सर्वांगीण विकास और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही योजनाओं का लाभ यथाशीघ्र एवं पारदर्शी तरीके से लाभुक बच्चों तक पहुंचाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. इसके अलावा श्रम विभाग द्वारा जिले में संचालित सभी ईंट भट्ठा के सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वहां कार्यरत मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा कार्यालय से समन्वय स्थापित कर नजदीकी विद्यालयों को चिन्हित करने व विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी का संचालन के लिए चक्रधरपुर में खाली पड़े विद्यालय भवन का चिन्हांकन के उपरांत भवन स्थानांतरण की प्रक्रिया को तत्काल पूरा करने का निर्देश दिया गया.

बाल संरक्षण पर डीसी सख्त

जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी ने बताया गया कि स्पॉन्सरशिप योजना के तहत पूर्व में 237 बच्चों को आच्छादित किया गया है. बैठक में स्पॉन्सरशिप योजना के तहत 101 नये बच्चों को योजना से जोड़ने के लिए, इसके अतिरिक्त 07 नये बच्चों को फोस्टर परिवार से जोड़ने के लिए अनुमोदित किया गया. उक्त दोनों योजना के तहत लाभुकों को ₹4000 प्रतिमाह वित्तीय लाभ प्रदान किया जाता है. उपायुक्त द्वारा बाल संरक्षण मुद्दों, विशेष रूप से बाल तस्करी को समाप्त करने, चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर-1098 अथवा समेकित हेल्पलाइन- 112 को सभी विद्यालय- आंगनबाड़ी केंद्र पर अंकित कराने तथा पोस्टर के माध्यम से प्रचार-प्रसार संबंधित कार्य योजना की समीक्षा के क्रम में उचित निर्देश दिया गया. इसके साथ ही बैठक में बाल देखभाल गृह के अधीक्षक को आवासित बच्चों का कौशल उन्नयन कराने के लिए इच्छुक गैर सरकारी संस्थान से गैर वित्तीय एमओयू करने के संदर्भ में आवश्यक निर्देश दिया गया.

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