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बेरमो के विश्वदीप डे बने तंजानिया में भारत के उच्चायुक्त

बेरमो के विश्वदीप डे बने तंजानिया में भारत के उच्चायुक्त

राकेश वर्मा, बेरमो : नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट स्थित गोनियाटो गांव के रहनेवाले विश्वदीप डे तंजानिया में भारत के नये उच्चायुक्त बनाये गये हैं. वह एक अगस्त को पदभार ग्रहण करेंगे. बीते सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें लेटर ऑफ क्रेडेंशियल (परिचय पत्र) प्रदान किया. विश्वदीप 12 सालों में कई देशों में राजदूत व उप-राजदूत पद पर तैनात रह चुके हैं. फिलहाल वह भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई में भारत के प्रतिनिधि के तौर पर कार्यरत हैं. यहां तीन साल का उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है. विश्वदीप के पिता एसएन डे उर्फ मंटू बाबू तेनुघाट व्यवहार न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं.

अरबी भाषा पढ़ने के लिए इजिप्ट में हुई थी पहली पोस्टिंग :

विश्वदीप की पहली पोस्टिंग अरबी भाषा पढ़ने के लिए इजिप्ट में हुई थी. वहां उन्होंने दो साल तक अरबी भाषा की पढ़ाई की. इसके बाद रियाद (मक्का-मदीना) में इनकी पोस्टिंग की गयी. वहां तीन साल तक एचओसी (हेड ऑफ चांसलरी) पद पर रहे. इसके बाद फिलिस्तीन का राजदूत बनाया गया. वहां वे चार साल तक फिलिस्तीनी मिशन के हेड रहे. इसके बाद दो साल तक दिल्ली में रहे. फिर उन्हें भूटान का डिप्टी चीफ ऑफ मिशन (डिप्टी एंबेसडर) बना कर भेजा गया, जहां वे दो वर्ष तक रहे. इसके बाद विश्वदीप दक्षिण अमेरिका के कैरिबियन में दक्षिणी द्वीप देश त्रिनिदाद व टोबैगो गणराज्य में भारतीय राजदूत के पद पर रहे. वह बांग्लादेश में तीन साल तक डिप्टी एंबेसडर रहे. विश्वदीप के पिता एसएन डे समेत परिजन नावाडीह प्रखंड अंतर्गत ऊपरघाट के गोनियाटो में रहते हैं. विश्वदीप का जन्म 13 जुलाई 1976 को गिरिडीह में हुआ था. उस वक्त उनके पिता गिरिडीह कोर्ट में वकालत रहे थे. विश्वदीप की प्राइमरी पढ़ाई दो साल गिरिडीह के कार्मल स्कूल में हुई. श्री डे सितंबर 1981 में परिवार के साथ तेनुघाट आ गये और यहीं वकालत करने लगे. बोकारो थर्मल स्थित संत पॉल माॅर्डन स्कूल में विश्वदीप ने दो साल पढ़ाई की. इसके बाद वर्ष 1984 में विश्वदीप का एडमिशन हिमाचल प्रदेश के डलहौजी बोर्डिंग स्कूल में हुआ. यहां से ने दसवीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद 11वीं और 12वीं की पढ़ाई गोमिया स्थित पिट्स मॉर्डन स्कूल से की. बीएचयू से राजनीतिक विज्ञान ऑनर्स में ग्रेजुएशन किया. इसमें यूनिवर्सिटी टॉपर रहे. इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की. यहां भी विश्वविद्यालय टॉपर रहे. इसके बाद मास्टर ऑफ लॉ भी दिल्ली विश्वविद्यालय से किया़ दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ लॉ करने के दौरान ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. पहली बार में ही बेहतर रैंक से उनका सेलेक्शन होने के कारण इन्हें भारतीय विदेश सेवा मिल गया. विश्वदीप को विदेशी सेवा व विदेश में भारतीय राजदूत के रूप में प्रतिनिधित्व करते हुए कई बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की अगुवाई करने का मौका मिला. कई देशों के साथ प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के साथ वार्ता व संधि में भी विश्वदीप ने अहम भूमिका अदा की. खासकर कुछ साल पहले कजकिस्तान, फिजी, इंडोनेशिया में प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के दौरे की अगुवाई विश्वदीप ने ही की थी. जब लिबिया में संघर्ष चल रहा था, उस वक्त अपनी जान हथेली पर रख कर विश्वदीप ने लिबिया में फंसे करीब 16 सौ भारतीय को सुरक्षित निकाल कर भारत लाया था.

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