बेरमो. नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट क्षेत्र अंतर्गत पोखरिया पंचायत के डेगागढ़ा-लेढ़वाकेंद निवासी धर्मेंद्र सिंह 24 साल अपने परिवार से मिल पाया. इतने सालों बाद उसे देख कर मां कौशल्या देवी, भाई, बहन सहित अन्य परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं था. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था. धर्मेंद्र वर्ष 2001 में रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र गया था. वहां उसकी मानसिक हालत बिगड़ गयी और गांव के साथियों से भटक गया. उसके साथी कई महीनों तक ढूंढते रहे, लेकिन वह नहीं मिला. धर्मेंद्र के घर में भी सूचना दी. परिजन कई साल तक उसकी तलाश करते रहे.
ऐसे मिला धर्मेंद्र
इधर, धर्मेंद्र महाराष्ट्र में 24 साल तक इधर-उधर भटकते रहा. मांगने पर जो मिलता, खाकर सड़क किनारे सो जाता. 23 फरवरी को राजस्थान के आइआरएएस रमेशचंद मीणा की नजर उस पर पड़ी. उन्होंने खुद धर्मेंद्र के बढ़े बाल काटे और नये कपड़े पहनाये. उसे घर जाने को कहा ताे वह अपना नाम और जिला बोकारो ही बता पाया. लगातार चार-पांच दिन श्री मीणा के देखरेख में रहने के बाद उसने अपने गांव का नाम डेगागढ़ा बताया. उसके बाद श्री मीणा ने बोकारो एसपी मनोज स्वर्गियारी और पेंक-नारायणपुर थाना प्रभारी अनिल लिंड़ा से संपर्क किया. थाना प्रभारी धर्मेंद्र सिंह के परिजनों से मिले और धर्मेंद्र की फोटो दिखायी तो उसकी मां ने पहचान लिया. इसके बाद थाना प्रभारी ने एक टीम परिजनों के साथ महाराष्ट्र भेजी. टीम को धर्मेंद्र सिंह को लेकर लौटी. अपने गांव पहुंचने के बाद धर्मेंद्र ने बताया कि एक रात उसने सपने में पिता की मौत देखी और वह बेचैन हो गया था. हांलाकि धर्मेंद्र के पिता की मौत उसके घर से निकलने के बाद ही हो गयी थी.
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