तेनुघाट और कोनार डैम के इलाके प्रवासी पक्षियों को शुरू से ही भाते रहे हैं. ठंड के मौसम में प्रवासी पक्षियों का कलरव शुरू हो जाता है. तरह-तरह के रंग-बिरंगे पक्षी ऑस्ट्रेलिया, नाइजीरिया, न्यूजीलैंड सहित कई देशों से नवंबर और दिसंबर माह में यहां आ जाते हैं. इनमें साइबेरियन गाल्ज, रूडी शैलडक, शॉवलर व कोमन पोचड सहित अन्य कई प्रजातियां शामिल हैं. इनकी चहचहाहट लोगों को खूब लुभाती है. क्षेत्र की अन्य नदियों व बड़े तालाबों में भी प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है. ये कभी झुंड बना कर तैरते हैं, तो कभी उड़ते और जल क्रीड़ा कर रहे हैं. इनको देखने के लिए स्थानीय व दूर-दराज के लोग भी खींचे चले आते हैं. ठंड के मौसम के बाद मार्च महीने में ये पक्षी फिर वापस चले जाते हैं.
भंडारदह घाट में पिकनिक मनाने के लिए लगती है भीड़
भंडारीदह और चंद्रपुरा के बीच राजाबेड़ा के समीप दामोदर नदी का भंडारदह घाट पिकनिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. यहां पानी की धाराओं के बीच पिकनिक मनाने का आनंद ही कुछ और है. कई किंदवंती व रहस्यों को समेटे इस स्थल में नदी की धारा संकरी है. राजाबेड़ा में ही दामोदर नदी का अथाह जलसंग्रह स्थल भंडारीदह है. यहां प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को मेला लगता है. राजाबेड़ा के पास ही एक और पिकनिक स्पाट इंद्रकुआं है. ऐसा कहा जाता है कि करीब डेढ़ किमी की दूरी होने के बाद भी भंडारीदह और इंद्रकुआ में पानी का रंग एक जैसा दिखता है. दोनों जगह नववर्ष के अवसर पर पिकनिक मनाने वालों की भीड़ रहती है. हालांकि नदी किनारे से लगातार पत्थरों के अवैध उत्खनन से इसकी सौंदर्यता पर ग्रहण लगने लगा है. नदी के दोनों किनारे क्रशरों का संचालन हो रहा है.
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