Bokaro News : कसमार प्रखंड में रविवार से मां मनसा की पूजा उल्लास और आस्था के साथ शुरू हुई. शनिवार को संजोत मनाने के बाद रविवार की शाम श्रद्धालुओं ने निकटवर्ती जलाशयों से बारि (कलश में पवित्र जल) लाकर विधिवत पूजा-अर्चना की. गांव-गांव, घर-घर श्रद्धा का ऐसा वातावरण बना मानो पूरा प्रखंड भक्ति में डूब गया हो. जगह-जगह सैकड़ों प्रतिमाओं की स्थापना कर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अनुष्ठान संपन्न हुआ. पूजा के बाद परंपरा के अनुसार बकरा और बतख की बलि भी दी गयी. बता दें कि 16 सितंबर तक यह पूजा होती है.
कुड़मी समाज की विशिष्ट पहचान है ‘बारि पूजा’ :
कुड़मी समुदाय मां मनसा पूजा को अपनी मूल परंपरा ‘बारि पूजा’ के रूप में मानता है. उनका विश्वास है कि ‘मनसा’ वास्तव में ‘बाड़ी यानी खेत-खलिहान और उससे उपजी फसल से जुड़ी देवी हैं. परंपरा रही है कि बाड़ी से उगी फसल तब तक नहीं खाया जाता, जब तक बाड़िबंधा (चढ़ावा) न कर दिया जाए. राइ-रइया (देवी-देवता) को पहला चढ़ावा अर्पित करने के बाद ही पूरा परिवार नए अन्न का स्वाद लेता है. बगदा के सुकदेव राम महतो, मंजूरा के मिथिलेश महतो आदि के अनुसार, मान्यता है कि ऐसा करने से बाड़ी में उपस्थित विषैले जीव-जंतु, कीड़े-मकोड़े और ‘लत’ यानी रेंगने वाले प्राणी (जैसे सांप) से परिवार सुरक्षित रहता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

