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फ्रेंडशिप डे : बिंदेश्वरी दूबे व रामाधर सिंह समेत बेरमो में इन लोगों की दोस्ती की आज भी दी जाती है मिसाल

कोयलांचल में कई ऐसे दोस्त हैं जिनकी जोड़ियां आज भी लोग याद करते हैं. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दूबे और इंटक नेता रामाधार सिंह की दोस्ती की चर्चा आज भी होती है. इसके अलावा कई अन्य दोस्तों की जोड़ियों को आज भी लोग याद करते हैं.

बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा : हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण और सुदाम की मत्रिता की मिसाल दी जाती है. दोनों के बीच मत्रिता के साथ स्नेह का अटूट बंधन था. इसी प्रकार एक आम इंसान के जीवन में दोस्त एक बेहद ही खास स्थान रखता है. आधुनिक युग में दोस्त ही ऐसा इंसान है, जो सुख-दुख में काम आता है. दूसरी नजर से देखा जाए तो सगे भाई के बाद किसी को महत्वता दी जाती है तो वह हैं दोस्त. जिसे हम अपने सभी प्रकार के सुख-दुख और जीवन में आने वाली परेशानियों को निसंकोच साझा कर सकते हैं. इन्हीं खास लोगों के लिए साल में एक बार एक दिन ऐसा आता है, जिसे सभी दोस्त मिलकर साथ में मनाते है, जिसे हम फ्रेंडशिप डे के नाम से जानते है. यह दिन सभी दोस्तों के लिए एक अहम दिन होता है, जिसमे दोस्ती को एक नई परिभाषा और पहचान मिलती है.

बिंदेश्वरी दुबे व रामाधार सिंह की दोस्ती ही हर ओर होती चर्चा

बेरमो में कई ऐसे लोग हुए हैं जिनकी दोस्ती की कई जोडियां चर्चित थी. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे व इंटक नेता रामाधार सिंह, इंटक नेता रामाधार सिंह व फुलेना प्रसाद वर्मा, सागर महतो व गुलाब सिंह, एटक नेता शफीक खान व एमएम सेन, संतन सिंह व राम मोहन सिंह, कृष्ण मुरारी पांडेय व शंकर सिंह, सीडी सिंह व केपी सिंह, समाजवादी नेता मिथिलेश सिन्हा व बहराम भट्टाचार्य, नागो बाबू व वशीर मियां, पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय व बच्चन सिंह, गुलाब सिंह सरदार व महावीर गोप, कन्हाई राम व चेतलाल प्रजापति, सुदर्शन तिवारी व ललन सिंह, रघुवंश सहाय व कामेश्वर सिंह, रामचंद्र सिंह व लक्ष्मेश्वर सिंह, कन्हैया सिंह व सत्यानारायण सिंह, त्रिभुवन सिंह व फ्रांसिंस, राजू बाबू व युगल बाबू, डॉ जे राय व शिशिर बाबू, विगन सिंह व डॉ बीके पांडेय की दोस्ती को आज भी कोयलांचल वासी याद करते हैं. इसी तरह कथारा के सोहराब खान व ईश्वरी सिंह, सूर्यपत सिंह व अरुण चौबे, आरए सिंह व मंसूर खान, सरदार सिंह व रामप्रवेश पांडेय, आरपी शाही व एपी जॉन की दोस्ती काफी चर्चित थी. संडे बाजार के रघुवंश सहाय व कामेश्वर सिंह हमेशा एक साथ नजर आते थे. इसी मुहल्ले में उदय शंकर सिन्हा व मनोज सिंह पवार की दोस्ती भी जानी जाती थी.

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सुदर्शन व ललन के कपड़े व मकान एक जैसे

फुसरो नया रोड निवासी सुदर्शन तिवारी व ललन सिंह की दोस्ती 70 के दशक से आजतक कायम है. विशेषता यह है कि दोनों का मकान एक ही जगह और एक जैसा है. इनकी गाडियां भी एक जैसी है. दोनों रोज एक ही तरह के कपड़े पहनकर निकलते हैं. एक ही गाड़ी में दोनों कहीं भी एक साथ ही चलते हैं.

कोई राम-हनुमान,कोई राम-बलराम

इंटक नेता व पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी और रामाधार सिंह उर्फ मालिक बाबू की जोड़ी राम-हनुमान के रूप में चर्चित थी. हर बैठक और आंदोलन में दोनों साथ रहते थे. फुर्सत में घंटों दोनों सुख-दुख व मजदूर समस्याओं के अलावा राजनीति को लेकर चर्चा करते थे. हर दिन सुबह चार नंबर फीटर टोला में रामाधार सिंह पहुंच जाते थे. बिंदेश्वरी दुबे के आने के बाद दोनों मजदूर धौडों में भ्रमण के लिए निकल जाते थे. इसी तरह पूर्व मंत्री व इंटक नेता स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद सिंह व स्वर्गीय कृष्ण मुरारी पांडेय की जोड़ी राम- बलराम के रूप में पूरे बेरमो में चर्चित थी. मुरारी पांडेय व शंकर सिंह, कामेश्वर शर्मा व मुरारी पांडेय, शंकर सिंह व कन्हैया सिंह की दोस्ती भी काफी गहरी थी. मुरारी पांडेय व शंकर सिंह दोनों मोटरसाइकिल से दूर-दूर तक एक साथ घूमा करते थे. सीसीएल के बोकारो कोलियरी में रामपदारथ पांडेय व चौके लाल तथा करगली में सुकुमार राय व सुनील बनर्जी के बीच गाढ़ी दोस्ती थी.

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चर्चित थी जरीडीह बाजार में ज्ञानीराम डालमिया व गिरिश कोठारी की जोड़ी

बेरमो की प्रमुख व्यवसायिक मंडी जरीडीह बाजार में एक समय में दोस्ती की कई जोड़ियां काफी चर्चित थी. इसमें मणिलाल कोठारी व लक्ष्मण भगत, ज्ञानीराम डालमिया व गिरिश कोठारी, सुरेंद्र स्वर्णकार व विजय भगत, दिलीप भगत मुन्ना व शिबू कसेरा लालजी व बसंत के अलावा कामेश्वर पांडेय-मंगत राम-रामचंद्र सिंह-काले सिंह-जगेश्वर राम- सुंदर लाल भगत की दोस्ती चर्चित थी. वहीं, गोपाल डालमिया- प्रेम अग्रवाल- बबलू भगत- अरविंद उर्फ चुन्ना के बीच आज भी आपस में गाढ़ी दोस्ती कायम है. इसके अलावा बोकारो थर्मल में बाबूलाल गिरि व केके बारिक तथा बहमेश्वर यादव व ब्रीज बग्गा के बीच एक समय काफी गहरी दोस्ती हुआ करती थी. करगली बाजार में मुन्ना-पप्पू की दोस्ती भी काफी पुरानी है.

रामबिलास के निधन के बाद मानसिक रूप से बीमार हो गये रामजतन

चंदपुरा के रामबिलास व रामजतन रिश्ते में भाई थे. लेकिन, इनकी दोस्ती देखने लायक थी. रामबिलास की मानसिक स्थिति खराब होने के बाद उसकी सारी जिम्मेवारी वर्षों तक रामजतन निभाते रहे. खाने-पीने के सामान से लेकर अन्य सभी तरह की जरुरतें पूरी करते थे. वह दिन भर अपने दोस्त को कंधे पर घूमाते भी थे. रामबिलास के निधन के बाद रामजतन भी मानसिक रूप से बीमार हो गये.

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