बेरमो, गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी भारत सरकार के कोयला सचिव विक्रम देवदत्त से बुधवार को नयी दिल्ली में मिले. झारखंड के सात कोयला प्रभावित जिलों में अंशकालिक अधिकरण (पार्ट टाइम ट्रिब्यूनल) की तत्काल स्थापना और आगे चलकर पूर्णकालिक अधिकरण (फुल टाइम ट्रिब्यूनल) गठित किये जाने की आवश्यकता जतायी. कहा कि झारखंड के कोयला परियोजनाओं से प्रभावित विस्थापितों और हितग्राहियों के हक की रक्षा के लिए 15 मार्च 2024 को एक प्रशासकीय आदेश जारी किया गया था, जिसके अनुसार सात जिलों में अधिकरण स्थापित किया जाना था. 29 जुलाई 2024 को इस विषय पर एक पत्र पहले भी भेजा गया था, किंतु अभी तक इस संबंध में कोई ठोस कार्रवाई प्रारंभ नहीं की गयी है. यह अधिकरण विस्थापन, पुनर्वास, मुआवजा, पर्यावरणीय प्रभाव तथा सामाजिक न्याय से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए जरूरी है. सांसद चौधरी ने बताया कि ओड़िशा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में ऐसे अधिकरण पहले से कार्यरत हैं. झारखंड में इसके नहीं होने से प्रभावित परिवारों को अनावश्यक विलंब और परेशानी का सामना करना पड़ता है. इ-ऑक्शन में पुराने प्रावधान लागू करने की मांग : सांसद ने सीआइएल इ-ऑक्शन स्कीम 2022 में हाल ही में किये गये कोयले की सैंपलिंग से संबंधित संशोधनों से होने वाली समस्या को लेकर भी कोयला सचिव का ध्यान आकृष्ट कराया. कहा कि इस विषय पर 13 अक्तूबर को कोल इंडिया के चेयरमैन पीएम प्रसाद से कोलकाता में प्रतिनिधिमंडल के साथ मिला था. चेयरमैन ने कहा था कि निदेशक (मार्केटिंग) के विदेश से लौटने के बाद नीति पर अंतिम निर्णय दो दिनों में लिया जायेगा. सचिव ने बताया कि कोयला मंत्री ने इस विषय पर पहले ही निर्देश दिया है और पुराने प्रावधानों को पुनः लागू करने पर गंभीरता से विचार हो रहा है.
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