सुनील तिवारी, बोकारो, बोकारो स्टील प्लांट में एक वक्त ऐसा भी था, जब लोग कहते थे ये इनके बस की बात नहीं है. तब महिलाओं ने खुद को साबित किया. आज फौलादी स्टील बना रही है. पहले लोहे के कारखाने में पुरुष सहकर्मी महिलाओं को हैरत भरी नजरों से देखते थे. स्टील सिटी की वूमेन ने साबित कर दिया कि कार्यक्षेत्र कोई भी हो, महिला हर जगह कंधे से कंधा मिलाकर काम कर सकती है. फिर चाहें वह स्टील सेक्टर हीं क्यों न हो. आज महिला कर्मी लगभग सभी विभागों में बीएसएल के स्टील प्रोडक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. बीएसएल के उत्पादन-उत्पादकता में महिला कर्मियों की अहम भूमिका है. बोकारो स्टील प्लांट में कुल 760 महिलाएं कार्यरत है. इनमें 181 अधिकारी व 579 महिला कर्मी शामिल हैं. इसके अलावा सैकड़ों महिला ठेका कर्मी भी स्टील प्रोडक्शन में सहयोग कर रही है.
घर के सम्मान को बनाते हुए हर सपनों को किया पूरा
आठ मार्च को महिला दिवस है. ऐसे में स्टील सिटी की स्टील वूमेन की चर्चा समसामियक है. बीएसएल की महिला कर्मियों ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ाने में शिक्षा से बढ़कर दूसरा कोई माध्यम नहीं, क्योंकि शिक्षा ही तरक्की के रास्ते खोलती हैं. बताया कि माता-पिता ने केवल एक बात सिखायी थी कि अपनी हर ख्वाहिशों और सपनों को पूरा करने खूब ऊंची उड़ान भरो, लेकिन घर के सम्मान को हमेशा बनाये रखना. बस यही बात मन में कुछ इस तरह बैठी कि घर हो या प्लांट…हर जगह चुनौतियों का सामना आसानी से करने की हिम्मत आ गयी. अब कोई परेशानी नहीं.चुनौती किया स्वीकार, प्लांट के लगभग हर विभाग में हैं कार्यरत
पहले प्लांट में महिला कर्मियों की संख्या गिनी-चुनी थी. ऐसी सोच थी कि प्लांट के अंदर महिला कर्मी हार्ड वर्क नहीं कर पायेंगी. लेकिन, महिलाओं ने इसे चुनौती के रूप में लिया और सफलता पायी. अब प्लांट के लगभग हर विभाग में महिलाओं की उपस्थिति है. कई महिला कर्मियों ने बताया कि उस वक्त सहकर्मी पुरुष साथी हमें हैरत भरी नजरों से देखते थे कि कैसे महिला होकर हम प्लांट में नौकरी करने आ गयी हैं.प्लांट के अंदर-बाहर अपनी काबिलियत कर रही हैं साबित
समय के साथ अब लोगों की सोच भी बदली है. प्लांट के अंदर चाहे वो महिला नियमित कर्मी या हो फिर ठेका श्रमिक, पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर उत्पादन में कीर्तिमान रच रहीं हैं. कई महिलाओं ने बताया कि जब उन्होंने प्लांट में नौकरी ज्वाइन की, उस वक्त परिवार व जॉब की गतिविधियों के बीच तालमेल बैठाने में थोड़ी दिक्कत होती थी. अब लोहे के कारखाने में काम करते हुए मन से ये भेद मिट सा गया है कि मैं महिला हूं. स्टील का उत्पादन करते-करते इरादा फौलादी हो गया है. अब किसी तरह कोई डर नहीं लगता है. परिवार व जॉब की गतिविधियों के बीच तालमेल भी बैठ गया है. ऑल इज वेल, ऑल ऑर सेट.पहली महिला अधिशासी निदेशक-मानव संसाधन के अनुभव का लाभ
बीएसएल की पहली महिला अधिशासी निदेशक (मानव संसाधन) के तौर पर राजश्री बनर्जी के व्यापक अनुभव का लाभ बोकारो को मिल रहा है. सुश्री बनर्जी इसके पहले सीजीएम एचआर एलएंडडी के पद पर राउरकेला स्टील प्लांट में कार्यरत थी. करियर की शुरुआत दुर्गापुर में बतौर प्रबंध प्रशिक्षु (प्रशासन) के रूप में की. दुर्गापुर के विपणन विभाग, प्रबंध निदेशक सचिवालय और कार्मिक विभाग में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई. 2019 में स्थानांतरण राउरकेला में हुआ. यहां मानव संसाधन विभाग की जिम्मेदारी संभाली. उन्होंने कार्यबल विकास, प्रशिक्षण प्रथाओं व क्षमता निर्माण के क्षेत्र में सराहनीय योगदान दिया.
महिलाओं की प्रगति व भागीदारी के बिना विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती
बोकारो स्टील प्लांट के निदेशक प्रभारी बीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि महिलाओं की प्रगति व भागीदारी के बिना विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती है. बोकारो स्टील प्लांट की प्रगति में महिला कर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान है. महिलाओं में असीम क्षमता है. महिलाएं नवाचार व कार्य के प्रति समर्पण की भावना से बीएसएल को उत्कृष्टता की शिखर पर ले जा सकेंगी. प्लांट के अंदर व बाहर सभी जगहों पर महिलाएं अपने दायित्व का निर्वहन बखूबी कर रही हैं. महिला दिवस पर बोकारो स्टील की सभी महिला अधिकारी-कर्मी को शुभकामना. सभी सपरिवार स्वस्थ व खुश रहें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

