बोकारो, ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति को सुचारू व सुरक्षित बनाएं रखने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है. गुरुवार को इस संबंध में डीसी अजयनाथ झा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पदाधिकारी के साथ बैठक की. डीसी ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता-2023 में धारा 326, 267 व 303 के अंतर्गत ऐसे प्रावधान जोड़े गये हैं, जिनके तहत पेयजल स्रोतों को नुकसान पहुंचाना, पाइपलाइनों में छेड़छाड़ करना, जलापूर्ति संरचनाओं को क्षति पहुंचाना जैसे अपराधों के लिए दोषियों के विरुद्ध कड़े दंड का प्रावधान है.
उपायुक्त ने निर्देशदिया कि जिला प्रशासन किसी भी प्रकार की जलापूर्ति पाइप के तोड़फोड़ या अवैध दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा. ऐसे मामलों पर तत्काल कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी. जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि ग्रामीण जल आपूर्ति से जुड़े किसी भी स्रोत, संरचना, पाइपलाइन या अन्य घटक को क्षति पहुंचाना अब गंभीर अपराध की श्रेणी में आयेगा. भारत सरकार के पीने का पानी व स्वच्छता मंत्रालय तथा झारखंड सरकार के पंचायती राज व पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से जारी निर्देश
के अनुपालन में निर्णय लिया गया है.एसडीओ चास व बेरमो को दिये गये विशेष निर्देश
उपायुक्त ने चास एसडीओ प्रांजल ढांडा व बेरमो एसडीओ मुकेश मछुआ को निर्देशित किया है कि यदि उनके संज्ञान में कहीं भी जलापूर्ति योजना को नुकसान पहुंचाने की घटना आती है, तो संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध बिना किसी देरी के एफआइआर दर्ज कर विधिसम्मत कार्रवाई हो. डीसी ने क्षेत्र में नियमित निरीक्षण बढ़ाने व संवेदनशील स्थानों पर निगरानी मजबूत करने को कहा.संरक्षित स्रोत क्षेत्र का चिन्हितिकरण करें
डीसी ने कहा कि जहां-जहां पेयजल स्रोत चिन्हित हैं, वहां संरक्षित स्रोत क्षेत्र का बोर्ड लगायें. इन क्षेत्रों में प्रवेश प्रतिबंधित करने व सुरक्षा मानकों का पालन करवाने का निर्देश दिया गया. संबंधित कार्यपालक अभियंता को तुरंत कार्रवाई करने व रिपोर्ट देने को कहा गया. मौके पर कार्यपालक अभियंता चास- रामप्रवेश राम, कार्यपालक अभियंता, बेरमो चंदन कुमार, सहायक अभियंता, चास-तेनुघाट, यूनिसेफ प्रतिनिधि घनश्याम साह समेत अन्य तकनीकी अधिकारी उपस्थित थे.
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