झारखंड आंदोलन के अगुआ बिनोद बिहारी महतो बेरमो कोयलाचंल के विस्थापितों के लिए विश्वास के प्रतिक और आशा की किरण थे. चाहे वह सीसीएल में विस्थापितों का मामला हो या फिर बीटीपीएस व सीटीपीएस में विस्थापितों से जुड़ा मामला हो, हर जगह बिनोद बाबू विस्थापितों के हक के लिए प्रबंधन व प्रशासन के समक्ष खड़े रहे. सीसीएल बीएंडके एरिया की कारो परियोजना में स्व सागर महतो के साथ 84 विस्थापितों को अपने हाथ से नियुक्ति पत्र बांटा था, जिसमें 45 विस्थापित करगली घुटियाटांड़ के थे. सांसद बनने के बाद बिनोद बाबू ने बोकारो थर्मल में विस्थापितों के आंदोलन का नेतृत्व करते हुए 788 विस्थापितों का पैनल बनवाया था. आज भी डीवीसी प्रबंधन के साथ उनका किया गया एग्रीमेंट जीवित है. वर्ष 1988-89 में बीएंडके एरिया अंतर्गत डीआरएंडआरडी में प्रबंधन ने 19 विस्थापितों को यह कह कर नौकरी से बैठा दिया था कि वह अपनी जमीन समतल करा कर प्रबंधन को दें. इसके बाद बिनोद बाबू के आंदोलन का ही परिणाम था कि तत्कालीन जीएम बी अकला को सभी विस्थापितों को पुनः बुलाकर नियुक्ति पत्र देना पड़ा था. विस्थापित नेता बिनोद महतो कहते हैं कि अगर बिनोद बाबू दो-चार साल और जीवित रहते तो बेरमो में कोई विस्थापित मार्चो ही नहीं बनता. उनके निधन के बाद विस्थापित संगठनों में भी भटकाव आ गया. विस्थापित व मजदूर नेता बेनीलाल महतो कहते हैं कि बिनोद बाबू अपनी कमाई के पैसे संगठन व समाज को आगे बढ़ाने में लगाते थे. उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए.
70 के दशक में नावाडीह में किया था शिवाजी समाज का गठन
नावाडीह में बिनोद बाबू ने 70 के दशक में शिवाजी समाज का गठन किया था. इसके माध्यम से लोगों को बहु विवाह, दहेज प्रथा और शराब से दूर रहने को लेकर जागरूक करते थे. नावाडीह के खोरठा कवि बासु बिहारी कहते हैं एक बार नावाडीह के भवानी में एक व्यक्ति ने पैसे की ताकत दिखाते हुए दूसरा विवाह किया. बिनोद बाबू नावाडीह में मीटिंग कर रहे थे, इसके बाद वहां से सात किमी पैदल चल कर भवानी पहुंचे तथा उस व्यक्ति के आवास जाकर ग्रामीणों के समक्ष उनके पैसे के अभिमान को तोड़ा था. बिनोद बाबू के साथ वर्षों तक रहे निर्मल महतो ने कहा कि बिनोद बाबू को भारत रत्न मिलना चाहिए.जब बैठक से अधिकारी हो गये थे नदारद
वर्ष 1990 में लोस चुनाव जीतने के बाद एक बार बिनोद बाबू को सीसीएल के ढोरी एरिया में सीडी की बैठक में आना था. कहते हैं बिनोद बाबू के आने से अधिकारियों में इतना दहशत हो गया कि सभी अधिकारी बैठक से नदारद हो गये. तब बिनोद बाबू ने समर्थकों से कहा कि अभी हम दिल्ली जा रहे हैं, आप लोग बेरमो में माफियाओं के खिलाफ आंदोलन तेज करें.पिछरी में बिनोद बाबू के नाम से बना स्कूल व कॉलेज
वर्ष 2015-16 में पिछरी मेन रोड में बिनोद बाबू के नाम पर बिनोद बिहारी मेमोरियल पब्लिक स्कूल का उद्घाटन तत्कालीन सांसद राजकिशोर महतो ने किया था. फिलहाल इस स्कूल में एक से लेकरआठवीं तक की पढ़ाई होती है. बच्चों की संख्या डेढ़ सौ के आसपास है. पिछरी बस्ती में बिनोद बिहारी महतो स्मारक इंटर महाविद्यालय खुला था. कोरोना काल से इस कॉलेज में पढ़ाई बंद है. फिलहाल यहां मुुख्यमंत्री सारथी योजना अंतर्गत बिरसा योजना के तहत प्रशिक्षण केंद्र चल रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

