बेरमो: कोल इंडिया के अलावा इसकी अनुषंगी इकाई सीसीएल में वेलफेयर कार्य पूरी तरह से सुस्त है. वहीं कायाकल्प योजना की रफ्तार काफी भी धीमी है. कोलकर्मी को समझ में नही आ रहा है कि उनकी बुनियादी सुविधाओं से जुडा कार्य वेलफेयर से होगा या फिर कायाकल्प योजना से. सीसीएल के बेरमो कोयलांचल अंतर्गत बीएंडके, ढोरी व कथारा एरिया मिलाकर 50 करोड़ से ज्यादा का कायाकल्प योजना का काम शुरू किया गया है. करीब एक साल होने को है, लेकिन अभी तक कहीं भी 40 फीसदी भी काम पूरा नहीं हुआ है.
सीसीएल के जीएम वेलफेयर बीएन प्रसाद कहते है कि मार्च 2017 से मार्च 2018 तक कंपनी के कुल 37172 क्वार्टरों की मरम्मत का काम खत्म हो जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक मात्र 2224 क्वार्टरों की मरम्मत हुई है. इससे इस योजना की रफ्तार का आकलन लगाया जा सकता है.
एक सप्ताह पूर्व बीएंडके एरिया के महाप्रबंधक ने कायाकल्प योजना को लेकर करगली में अधिकारियों व संबंधित संवेदकों के साथ बैठक कर कायाकल्प योजना की धीमी रफ्तार पर अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया. उन्होंने कहा था कि जो संवेदक काम नहीं कर पा रहा है, उन्हें तत्काल टर्मिनेट करें. इधर कोल इंडिया व सीसीएल में वेलफेयर बोर्ड की भी कभी नियमित रूप से बैठक नहीं होती. स्वाभाविक है जब कोल इंडिया व सीसीएल की यह स्थिति है, तो कंपनी के अधीन वाले हर एरिया इसका कितना अनुसरण करेंगे. नतीजतन हर एरिया में साल में चार बार होनेवाली वेलफेयर कमेटी की बैठक कभी भी नियमित नहीं होती. अगर एकाध बार हो भी गयी तो कुछ एसीसी सदस्य प्रबंधन की भाषा बोलते है, तो कुछ वेलफेयर कार्यों में किये जा रहे घालमेल का जमकर प्रतिकार भी करते है. वेलफेयर कमेटी की बैठक नियमित रूप से नहीं होने पर वेलफेयर कार्यों की प्रोपर मॉनीटरिंग नहीं हो पाती है. बैठक में वेलफेयर कार्यों को धरातल पर उतारने के लिए द्विपक्षीय वार्ता में जो भी निर्णय लिये जाते है, उसका कितना पालन हुआ, इसका जवाब अगली मीटिंग में देना होता है. जब समय पर मीटिंग ही नहीं होती है, तो अधिकारी भी जैसे-तैसे नियम व कानून को ताक पर रखकर कार्यों का पूरा दिखा देते है. क्षेत्र के सांसद भी समय-समय पर मजदूर धौड़ा व माइंसों का दौरा कर वेलफेयर कार्यों को लेकर संबंधित प्रबंधन को फटकार लगाते है. इसके बाद भी सब कुछ यथावत चलता रहता है.
सालों नहीं होती वेलफेयर कमेटी की बैठक
सीसीएल के बीएंडके एरिया में तीन साल से तो कथारा व ढोरी एरिया में पिछले दो साल से वेलफेयर कमेटी की बैठक नहीं हुई है. जबकि तीन माह पर एरिया स्तर पर बैठक करनी है. तीन वर्ष पूर्व वेलफेयर कार्यो की मॉनीटरिंग के लिए ट्रेड यूनियन नेताओं व प्रबंधन को मिलाकर मुख्यालय ने तीन टीम का गठन किया. कमेटी ने हरेक एरिया में जाकर वहां हो रहे व कराये जानेवाले वेलफेयर कार्यों का निरीक्षण किया. पानी, अस्पताल, दवा, क्वार्टर, सड़क, स्कूल में बस का अभाव, स्कूल भवन में सिपेज, मजदूर क्वार्टरों में दरवाजा व खिड़की का अभाव व सिपेज, जगह-जगह हजारों टन गार्बेज के जमा रहने, गंदा नाला व सेनिटेशन की समस्या मिली. यह भी पाया कि कामगारों के घरों में काम नहीं हो रहा है, लेकिन गैर कामगारों के घर में कई कार्य कराये जा रहे है. इसकी रिपोर्ट भी मुख्यालय को सौंपी गयी. लेकिन आज तक इस पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई.
कार्यस्थल पर लगाना है कार्य संबंधी बोर्ड
सीसीएल वेलफेयर बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि हर एरिया में वेलफेयर संबंधी जो भी कार्य हो रहे है, खासकर सड़क मरम्मत व जलसंकट से निदान का. वैसे कार्यों का करनेवाले संवदकों, प्राक्कलन सहित कार्य की समयावधि को बोर्ड में लिखकर लगाना है. लेकिन सीसीएल के ढोरी, बीएंडके व कथारा एरिया में कहीं इसका पालन नहीं किया जाता है.
क्या कहना है जीएम वेलफेयर का
सीसीएल के जीएम वेलफेयर बीएन प्रसाद ने कहा कि पूरे सीसीएल में कायाकल्प योजना की रफ्तार काफी धीमी है. पूरे सीसीएल में 37 हजार 172 क्वार्टरों में काम होना है, लेकिन अभी इसमें 10 फीसदी भी सफलता नहीं मिली है. कहा कि वेलफेयर कार्य सुचारु रूप से चल रहे है. कायाकल्प योजना आने के बाद सभी का ध्यान इसी ओर चला गया है.