वैशाली : भ्रष्टाचार विरोधी परिषद, दिल्ली को प्राप्त आम जनता की लिखित शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सह भ्रष्टाचार विरोधी परिषद के केंद्रीय चेयरमैन ने वैशाली, पटेढ़ी और गौरोल प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी से सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना मांगी थी. सूचना में 2005 से वर्ष 2015 तक के सभी जन-कल्याणकारी योजनाओं जैसे- मनरेगा, दिव्यांग पेंशन, वृद्धा पेंशन, इंदिरा व प्रधानमंत्री आवास योजना के आवंटन की सूची व निर्गत राशियों के ओर भी जानकारी मांगी गयी थी.
निर्धारित समय सीमा पर भी सूचनाएं नहीं उपलब्ध कराये जाने पर आवेदक सह सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एडवोकेट प्रमोद कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आश्चर्य व्यक्त करते हुए बताया कि जब समाज में आम जनता के मौलिक अधिकारों की जानकारी पर देश के सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता को सूचना नहीं दी जाती तो गरीब, लाचार जनता के साथ इन पदाधिकारियों का क्या व्यवहार होता होगा? उन्होंने कहा कि कुछ भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों की मिली भगत से वैशाली जिले में लूट मची है, जनता के हक़ और अधिकारों को दबा कर भ्रष्ट पदाधिकारी लूट का बाजार चला रहे है.
इस पर एसीसीआइ (एंटी करप्शन कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया) ने संज्ञान लेकर वैशाली जिले के सभी पंचायत के सभी गावों के पिछले दस वर्ष की योजनाओं पर एसीसीआइ (एंटी करप्शन काउंसिल आॅफ इंडिया) की टीम द्वारा भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत सभी फाइलों की जांच करवायी जायेगी. उन्होंने यह भी कहा कि संलिप्त व लापरवाह पदाधिकारियों पर मुकदमा दायर करेगी. एसीसीआइ के द्वारा अब तक बिहार के 167 उच्चस्तरीय भ्रष्ट पदाधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करवा कर जेल भेजा जा चुका है व पूरे देश में सैकड़ों पदाधिकारियों पर जांच चल रही है. उन्होंने आगे कहा कि अगले माह भ्रष्टाचार विरोधी परिषद की दस सदस्यीय टीम का गठन वैशाली जिले में हो रही लूट की जांच करायी जायेगी, जिसमें राष्ट्रीय संयोजन परवेज आलम, रंजीत राय, सुबोध कुमार राय, अजय कुमार राय, प्रदीप कुमार विधार्थी, सैफ अहमद, सुनील कुमार यादव, मुन्ना कुमार, संजय कुमार सिंह की दस सदस्यीय टीम का गठन किया गया है.