सोनपुर : बिहार में गंडक नदी के तट पर लगने वाले सोनपुर मेले का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है. मेले में दैनिक जीवन से जुड़ी हुई सामग्री के साथ-साथ पशुओं की बिक्री भी होती है. गंडक नदी के तट पर यह मेला हर साल नवंबर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगता है. इस मेले को हरिहर क्षेत्र का मेला भी कहा जाता है. वैसे स्थानीय लोग पहले इस छत्तर मेला भी कहते थे.
मेले की दस खास बातें जो जानने योग्य हैं.
– बताया जाता है कि यह मेला पहले हाजीपुर में लगता था और बाबा हरिहरनाथ की पूजा सोनपुर में होती थी. मुगलकाल में आरंगजेब ने इस मेले का आयोजन हाजीपुर से हटाकर सोनपुर गंडक नदी के तट पर आयोजित करने का आदेश दिया.
– बुजुर्ग लोगों की माने तो एक दौर ऐसा था जब मेले में सबकुछ बिकता था. यहां पशुओं के अलावा गुलाम के तौर पर महिला पुरुषों की भी बिक्री होती थी. बाद में धीरे-धीरे वह बंद हो गया.
-मेले में मुंबई, कोलकाता और लखनऊ का मीना बाजार सजता है. जहां से स्थानीय महिलाएं साल भर के लिये अपनी सौंदर्य प्रसाधन सामग्री की खरीदारी करती हैं.
– सोनपुर का मेला वहीं लगता है जहां पौराणिक मान्यता के अनुसार विष्णु के भक्त हाथी यानी गज और ग्राहयानी मगर में भयंकर युद्ध हुआ था. पौराणिक मान्यता के अनुसार गज को बचाने के लिये भगवान विष्णु गंडक के तट पर स्वयं आये थे.
– यहां चिड़ियों और अच्छी नस्ल के कुत्तों के लिये अलग से बाजार लगता है. हालांकि चिड़ियों की खरीद-बिक्री और हाथी की खरीद-बिक्री पर रोक है फिर भी कुछ व्यवसायी उसे बेचने के लिये यहां लाते हैं.
-मेले में हाथियों की बिक्री पर सरकार की ओर से पूरी तरह रोक है फिर भी यहां हाथियों की खरीद बिक्री होती है. जो अब बहुत कम हो गयी है.
-कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान के बाद यह मेला पहले एक महीनों तक चलता है लेकिन सरकार के निर्देशानुसार मेला मात्र 15 दिनों के लिए लगता है.
-मेले का खास आकर्षण थियेटर भी होता है जहां लोगों के मनोरंजन के लिये अन्य राज्यों से आये डांसर लोगों का मनोरंजन करते हैं.
– इस बार बिहार सरकार की ओर से शराबबंदी को सफल बनाने के लिये सैंड आर्टिस्ट द्वारा एक कलाकृति का निर्माण किया गया है, जिसे भारी संख्या में लोग देखने के लिये आ रहे हैं.
-मेले में विदेशी पर्यटकों के लिये विशेष व्यवस्था की जाती है. उनके ठहरने के लिये विशेष टेंट और खाने-पीने के लिये बिहार सरकार पर्यटन विभाग की ओर से स्पेशल व्यवस्थाकी जाती है. मेले में देश-विदेश से सैकड़ों पर्यटक आते हैं.
-मेले के दौरान गंगा स्नान का काफी महत्व माना गया है, इसलिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु बूढ़ी गंडक नदी में और गंगा में डुबकी लगाते हैं.
– मेले में पूरे देश के अच्छी नस्ल के घोड़ों की खरीद बिक्री होती है, दूर-दराज से घोड़े खरीदने के लिये लोग आते हैं.