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गांधी सेतु जाम से हर कोई रहा परेशान

आफत. दिन भर जाम में फंस कर कराहते रहे हजारों यात्री, किसी की छूटी ट्रेन, तो कोई नहीं पकड़ पाया विमान हाजीपुर शहर से गुलजारबाग तक महात्मा गांधी सेतु जाम रोजाना क्लास करने वाले छात्रों को हो रही परेशानी जाम में फंस कर एंबुलेंस पर सवार मरीज हो रहे बेहाल महात्मा गांधी सेतु पर जाम […]

आफत. दिन भर जाम में फंस कर कराहते रहे हजारों यात्री, किसी की छूटी ट्रेन, तो कोई नहीं पकड़ पाया विमान

हाजीपुर शहर से गुलजारबाग तक महात्मा गांधी सेतु जाम
रोजाना क्लास करने वाले छात्रों को हो रही परेशानी
जाम में फंस कर एंबुलेंस पर सवार मरीज हो रहे बेहाल
महात्मा गांधी सेतु पर जाम होने के कारण पुलिस और प्रशासन की सारी व्यवस्था धरी-की-धरी रह गयी है. हालांकि पुलिस के जवानों की तैनाती की गयी है. जाम से बचने के लिए कई उपाय किये गये हैं. औद्योगिक थाना और गंगा ब्रिज थाने की पुलिस की निगरानी बनी रहती है लेकिन पर्याप्त संख्या में पुलिस जवान नहीं रहने के कारण वाहन चालक निर्देश का पालन नहीं करते हैं. भारी वाहन एवं माल वाहक छोटी गाड़ियां भी परेशानी पैदा करती हैं. ऑटो चालकों की मनमानी भी जाम को बढ़ावा देती है.
हाजीपुर : एक तो जानलेवा गरमी और ऊपर से महात्मा गांधी सेतु का जाम लोगों पर कहर ढा रहा है. सुबह से लेकर शाम तक यह सिलसिला जारी रहता है. मंगलवार को ऐसे ही जाम से लोगों को जूझना पड़ा़ जाम के दौरान प्रशासन भी बेबस नजर आता है. लग्न को लेकर शादी समारोह में शामिल होनेवाली बराती से लेकर आम लोग इस जाम से परेशान है. सारी प्रशासनिक तैयारियों के बावजूद जाम पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. हाजीपुर से पटना जानेवाले वाहन गांधी सेतु पर बुरी तरह फंस जा रहे हैं. ऐसे में बीमार मरीजों, बुजुर्गो व महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
क्या हैं जाम के कारण : सेतु का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त है. इसके कारण लगभग साल भर से वन-वे है. इस कारण से दोनों साइड के वाहन बारी-बारी से एक ही हिस्से से गुजरते हैं. इस दौरान अगर कोई गाड़ी ओवरटेक करती है, तो जाम लग जाता है. जाम से पूरा सेतु डिस्टर्ब हो जाता है. हाल के वर्षों में गाड़ियों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है. भारी वाहन एवं माल वाहक छोटी गाड़ियां भी परेशानी पैदा करती है. ऑटो चालकों की मनमानी भी जाम को बढ़ावा देती है.
वर्ष 2008 से ही है सेतु का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त : वर्ष 2008 में ही पिलर संख्या 44 में सबसे पहले दरार दिखी थी, जिसके बाद इसे काट कर अलग कर दिया गया. इसकी जगह नया पिलर बनाया जाना था, लेकिन अब तक निर्माण नहीं हो सका है. वाहन वन-वे चलती है. नौ किमी सेतु पार करने में डेढ़ से दो घंटे का समय लग जाता है. कभी-कभी और भी ज्यादा़
बाइक सवार खतरा उठा पार करते हैं सेतु : सवारी और माल वाहक वाहन के जाम में फंसने के कारण बाइक सवार खतरा उठा कर सेतु को पार करते हैं. पुल पर बने पैदल पथ पर वे बाइक को चढ़ा कर पुल पार करते हैं थोड़ी-सी असावधानी उन्हें मौत के मुंह में धकेल सकती है, पर वे विवश हैं. एक तो चिलचिलाती धूप और काम पर पहुंचने की जल्दबाजी उन्हें ऐसा करने पर विवश करती है. पैदल पथ पर भी कई जगह व्यवधान है, जिसके कारण कभी वे ऊपर तो कभी नीचे से यात्रा करते है. ऐसे में दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है.
सुरक्षा के लिए तैनात हैं जवान : पुल पर जाम होने के कारण पुलिस और प्रशासन की सारी व्यवस्था धरी-की-धरी रह गयी. हालांकि पुलिस के जवानों की तैनाती की गयी है. जाम से बचने के लिए कई उपाय किये गये हैं. औद्योगिक थाना और गंगा ब्रिज थाने की पुलिस की निगरानी बनी रहती है,
लेकिन पर्याप्त संख्या में पुलिस जवान नहीं रहने के कारण वाहन चालक निर्देश का पालन नहीं करते हैं. ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस कर्मी ने बताया की अब 24 घंटे हर डेग पर वाहनों पर निगरानी रखना, तो संभव नहीं है. यात्री वाहन और मालवाहक वाहनों की अलग-अलग लाइन की व्यवस्था है, लेकिन रास्ते में वे इसका पालन करें, तो कोई समस्या ही नहीं होगी. समय जरूर लगेगा, लेकिन जाम की समस्या नहीं होगी. पहले यात्री वाहन को पास कराया जाता है. उसके बाद माल वाहक वाहनों को पास किया जाता है.
प्याऊ की नहीं है व्यवस्था : जाम के कारण कई यात्रियों को प्यास हलक सूख रहे थे. पुल पर पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं रहने से वे परेशान थे. ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों से यात्री प्याऊ की व्यवस्था के बारे में पूछताछ करते नजर आये, लेकिन वे भी विवश थे. इस तरह की सेतु पर कोई व्यवस्था नहीं है. बोतल बंद पानी बेचने वालों की चांदी कटी. 15 रुपये के पानी के उन्होंने 20 और 25 रुपये वसूले. बच्चों और महिलाओं को प्यास से बुरा हाल था. ऐसे यात्रियों की सह यात्रियों ने मदद की और पास में उपलब्ध पानी से उनकी प्यास बुझायी.
जाम से हर कोई रहा परेशान : मंगलवार की अहले सुबह से गांधी सेतु पर जाम का असर शहर पर भी पड़ा और शहर भी दिन भर जाम की समस्या से त्रस्त रहा. गांधी सेतु पर लगे इस जाम से बचने के लिए छोटे-बड़े वाहनों के चालक अपने वाहनों को कोनहारा घाट बाइपास से लेकर आने-जाने लगे.
इस कारण इस मार्ग पर दिन भर जाम की स्थिति बनी रही. इस मार्ग पर जाम के कारण शहर के गांधी चौक, राजेंद्र चौक, कचहरी रोड को भी जाम का सामना करना पड़ा और शहर में ट्रैफिक दिन भर कराहता रहा. वर्षा के बाद निकली कड़ी धूप के बीच लोग जाम में फंस कर हांफते रहे. कहीं कोई देखने वाला नहीं था. जाम को हटाने के लिए पुलिस की कोई विशेष व्यवस्था नहीं देख कर लोगों में रोष भी देखा जा रहा था.
क्या कहते है लोग
मुजफ्फरपुर से आ रहा हूं़ पटना जाना है़ सुबह सात बजे गाड़ी पकड़ी है. 10 बज गये है. जाम के कारण समय पर नहीं पहुंच पाऊंगा. अभी संभवत: एक से डेढ़ घंटा से फंसा हूं, देखिए कब तक पहुंचता हूं.
मंजीत कुमार सिंह, मुजफ्फरपुर
पानी की भारी समस्या है. सेतु पर प्याऊ की व्यवस्था होनी चाहिए. सह यात्री ने मदद की, तो गला तर किया हूं. बच्चे साथ में हैं उन्हें भी पानी पिला सकी हूं. समझ में नहीं आ रहा है क्या करूं. वाहन चालकों को निर्देश का पालन करना चाहिए.
हाजीपुर : चिलचिलाती गरमी ने बेदम कर रखा है और उस पर से जाम. छपरा से सुबह पांच बजे ही गाड़ी पकड़ी थी. सोचा था समय से पटना पहुंच जाऊंगा. लेकिन जाम से सारी योजना धरी-की-धरी रह गयी है. बोतलबंद पानी बेचने वालों की मनमानी है. अधिक पैसे वसूल रहे हैं.
राम किशोर पांडेय, छपरा

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