कुव्यवस्था. जर्जर व क्षतिग्रस्त पाइप से हो रही जलापूर्ति
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पानी की हो रही बरबादी
कुव्यवस्था. जर्जर व क्षतिग्रस्त पाइप से हो रही जलापूर्ति शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति के लिए जो पाइप बिछायी गयी थीं, उनमें अधिकतर क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. इसक नतीजा है कि पंप हाउस से पानी की सप्लाइ चालू होने के बाद भी नलों में पानी नहीं आ पाता. जर्जर पाइप से पानी निकल कर बीच सड़क […]
शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति के लिए जो पाइप बिछायी गयी थीं, उनमें अधिकतर क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. इसक नतीजा है कि पंप हाउस से पानी की सप्लाइ चालू होने के बाद भी नलों में पानी नहीं आ पाता. जर्जर पाइप से पानी निकल कर बीच सड़क पर बहता है, तो कहीं नाले में गिरता है.
हाजीपुर : कहीं जरूरत भर पानी भी लोगों को नहीं मिल रहा है और कहीं पानी यूं ही बेकार बहाया जा रहा है. जिले के कई गांव और मुहल्ले ऐसे हैं, जहां नल और चापाकल के निकट पानी के लिए लोग घंटों लाइन में लगे रहते हैं. वहीं, हर रोज लाखों लीटर पानी व्यर्थ बह रहा है. कहीं संबंधित विभाग की अनदेखी तो कहीं लोगों की लापरवाही के कारण.
सड़कों पर और नालों में बह रहा पानी : जल मीनारों से पानी की सप्लाई के दौरान फूटे अैर क्षतिग्रस्त पाइपों से सड़कों पर निकलते पानी के फव्वारे और अनेक जगहों पर बिना टैप के नलों से बहते पानी को रोकनेवाला कोई नहीं है. एक तरफ जिले की बड़ी आबादी इस प्रचंड गरमी में पानी के लिए तरस रही है, दूसरी तरफ विभिन्न मुहल्लों में हजारों लीटर पानी व्यर्थ बरबाद हो रहा है.
न विभाग संजीदा, न समाज संवेदनशील :
जल ही जीवन है, यह जुमला लोग अक्सर दुहराते हुए मिल जाते हैं. लेकिन जल संरक्षण के प्रति हमारा समाज कितना जागरूक है, यह नगर के किसी भी मोहल्ले में सरकारी नलों से गिरते पानी को देख कर समझा जा सकता है. इन नलों से हर रोज हजारों लीटर पानी बरबाद हो रहा है. हद तो यह है कि आंखों के सामने नल से बेकार बहता पानी देख कर भी लोग इसे बंद कर देना मुनासिब नहीं समझते हैं. दूसरी ओर अनेक जगहों पर टैप के अभाव में नल खुला होने के चलते पानी बरबाद होता रहा है. पानी की इस बरबादी को रोकने के प्रति न तो संबंधित विभाग संजीदा है और न ही समाज के लोग संवेदनशील हैं.
कई नलों में नहीं आता है पानी, कहीं हो रही बरबादी
नलों के पास पानी के लिए घंटों लाइन में लगे रहते हैं लोग
काफी पुराने पाइप हो गये हैं क्षतिग्रस्त
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति के लिए जो पाइप बिछायी गयी थी, उनमें अधिकतर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. इसक नतीजा है कि पंप हाउस से पानी की सप्लाइ चालू होने के बाद भी नलों में पानी नहीं आ पाता. जर्जर पाइप से पानी निकल कर बीच सड़क पर बहता है, तो कहीं नाले में गिरता है. यही हाल ग्रामीण क्षेत्र के जलापूर्ति केंद्रों का भी है. केंद्र से गांवों तक जलापूर्ति के लिए जो पीवीसी पाइप बिछाये गये थे, वे क्षतिग्रस्त हो गये हैं. इसके कारण लोगों के घरों तक पानी पहुंचने के बजाय, फूटे पाइपों से बह कर बरबाद हो रहा है.
अब भी नहीं चेते, तो नहीं बचेगा पानी
जिले में भूमिगत जल स्तर के नीचे गिरते जाने के कारण दिन-ब-दिन जल संकट बढ़ता ही जा रहा है. संकेत साफ है कि अगर अभी से पानी की बरबादी नहीं रोकी गयी, तो आने वाले दिनों में लोगों को पानी के लिए तड़पना पड़ेगा. जानकारों का कहना है कि समय रहते जल संरक्षण की पहल नहीं शुरू की गयी तो समस्या विकट हो जायेगी. इसके लिए जरूरी है कि बूंद-बूंद पानी का महत्व समझा जाये और पानी को बरबाद होने से बचाया जाये. लोगों को जागरूक बना कर और सामुहिक प्रयास से ही यह संभव हो सकता है.
सदर अस्पताल में व्यर्थ बह रहा पानी
पंप चालक की लापरवाही से सदर अस्पताल परिसर में प्रतिदिन भारी मात्रा में पानी की बरबादी हो रही है. अस्पताल परिसर में मातृ शिशु इकाई, इमरजेंसी वार्ड, यक्ष्मा केंद्र और सर्जिकल वार्ड के भवन की छतों पर लगायी गयी पानी की टंकियों से रोजाना घंटों तक पानी की धार बहती रहती है. इसे देखने-सुनने वाला कोई नहीं. पंप चालक मोटर तो चालू कर देते हैं, लेकिन इसे बंद करना भूल जाते हैं. नतीजा है कि टंकियों के भर जाने के बाद पानी बरबाद होते रहता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
खराब पड़े चापाकल और टूटे-फूटे नलों की मरम्मत के लिए विभाग विशेष टीम का गठन किया है. दस्ते में शामिल विभागीय मिस्त्री घूम-घूम कर ऐसे पेयजल इंतजाम को ठीक कर रहे हैं. काफी पुराने हो गये जलापूर्ति पाइप के कहीं-कही लीकेज की शिकायत मिलती है, तो उसे तुरंत ही ठीक कराने की कार्रवाई की जाती है. वैसे आम लोगों को भी पीने के पानी की बरबादी रोकने में सहयोग करने की अपील करता हूं.
ईं रामचंद्र प्रसाद, कार्यपालक अभियंता
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