हाजीपुर : पूर्व मध्य रेल (इसीआर) ने उत्तर बिहार की जीवन रेखा माने जाने वाले गांधी सेतु पर यातायात दबाव कम करने के लिये जल्द ‘रॉल ऑन-रॉल ऑफ’ की सुविधा प्रारंभ करने जा रहा है. इसीआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अरविंद कुमार रजक ने आज यहां एक विज्ञप्ति जारी कर बताया कि पूर्व मध्य रेल गंगा नदी के उत्तरी और दक्षिणी भाग के बीच ट्रेनों द्वारा ट्रकों की ढुलाई प्रारंभ करने की योजना है.
इसके तहत गंगा के दक्षिणी भाग के बिहटा फ्रेट टर्मिनल और गंगा के उत्तरी भाग के तुर्की अथवा नारायणपुर अनंत फ्रेट टर्मिनल के बीच ट्रक से लदे ट्रेनों को दीघा पुल के रास्ते दानापुर-दीघा-हाजीपुर होते हुए ले जाया जायेगा. उन्होंने बताया कि इससे बिहार के व्यवसायियों को काफी लाभ होगा तथा गांधी सेतु पर ट्रकों का दबाव कम होगा. भविष्य में पूर्व मध्य रेल द्वारा इस सेवा को अन्य रेल मार्गों पर भी प्रारंभ किया जा सकता है.
रजक ने बताया कि इस सेवा को रॉल ऑन-रॉल ऑफ नाम दिया गया है. यह सेवा भारतीय रेलवे में सबसे पहले कोंकण रेलवे द्वारा 1999 में प्रारंभ की गयी थी और पिछले 16 वर्षों से निरंतर रेलवे इस सेवा को सफलतापूर्वक चला रही है. यह सेवा कोंकण क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हुई है तथा पिछले 16 वर्षों में लगभग 3.5 लाख ट्रकों की ढुलाई की गयी है.
अरविंद कुमार रजक ने बताया कि रॉल ऑन-रॉल ॲाफ सेवा के तहत पटना जिला के बिहटा में ट्रकाें को ट्रेनों पर लोड किया जायेगा तथा मुजफ्फरपुर जिले के तुर्की अथवा नारायणपुर अनंत के पास ट्रेनों से उतारा जायगा. इसके लिये बिहटा और तुर्की के बीच 15 टन लोडेड ट्रक के लिये किराया 4000 रुपये होगा जबकि खाली ट्रक के लिये 2650 रुपये किराया तय किया गया है. 15 टन से ज्यादा भार होने पर प्रति टन 200 रुपये अतिरिक्त चार्ज लिया जायेगा.
उन्होंने बताया कि इसी तरह बिहटा और नारायणपुर अनंत के बीच 15 टन लोडेड ट्रक के लिये किराया पांच हजार रुपये होगा जबकि खाली ट्रक के लिये तीन हजार रुपये किराया तय किया गया है. 15 टन से ज्यादा भार होने पर प्रति टन 250 रुपये अतिरिक्त चार्ज लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि रेलवे, ट्रकाें के रॉल ऑन-रॉल आफ के लिये बिहटा, तुर्की एवं नारायणपुर अनंत फ्रेट पर लूप लाइन के अंत मे रैंप की सुविधा प्रदान करेगी. प्रथम चरण में यह सेवा बिहटा और तुर्की के बीच प्रारंभ की जा रही है.
यह सुझाव बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा रेल मंत्रालय को जर्जर हो गये गांधी सेतु पर बढ़े हुए यातायात दबाव और वाहनों के लगने वाले लंबे जाम के समाधान के तौर पर दिये गये सुझावों में से एक था.